24 मार्च 2013

MP3 से वीडियो बिना ज्यादा मेहनत किये

कल जो पोस्ट मैंने की थी उसमें पोडकास्ट बनाने वाले ब्लोगरों को टेढ़ा मेढ़ा हल सुझाया था, पर उस सुलझन में एक उलझन भी थी।

वह उलझन रवि रतलामी जी ने कमेन्ट में लिख भी दी। तो पेश है उस उलझन की सुलझन :)

उलझन क्या है? हमारे पास एक MP3 फ़ाइल है, इस MP३ फ़ाइल को यू-ट्यूब पर अपलोड करना है पर यू-ट्यूब तो MP३ फ़ाइल अपलोड करने ही नहीं देता।

सुलझन: किसी तरह से इस MP३ फ़ाइल को वीडियो में बदल दीजिये, इसके लिए एक वीडियो एडिटर का प्रयोग करते हुए कुछ इमेज जोड़ दीजिये और बदल गया ऑडियो वीडियो में :)

पर वीडियो एडिटर पर काम करना भी सरदर्द होता है खास तौर पर तब जब हम व्यस्त हों। पर आजकल ऐसी वेबसाईट हैं जो आपके इस काम को बिना परेशानी के कर देंगी आपको सिर्फ एक इमेज और ऑडियो अपलोड करना है, और अपने यू-ट्यूब अकाउंट को एक्सेस करने की परमिशन देनी है बस वीडियो बन कर अपने आप आपके यू-ट्यूब चैनल पर अपलोड हो जायेगा।

अब बारी है इन वेबसाईट के बारे में जानने की-

मैं आपको एक वेबसाईट बताऊँगा क्यूंकि मैंने उसको प्रयोग करके देखा है- वेबसाईट है ट्यून्स-टू-ट्यूब यानी-

काम करना बहुत आसान है, एक बटन दी हुई है इस वेबसाईट पर उसे दबाइए और यू-ट्यूब अकाउंट को एक्सेस करने की अनुमति दे दीजिये। बस फिर तो ऑडियो और इमेज अपलोड करनी है और हो गया  आपका काम :)

ऐसी ही और भी बहुत सी वेबसाईट हैं जिनकी जानकारी आपको यहाँ मिल जायेगी। वैसे आप यदि किसी और टूल के बारे में जानते हैं तो कमेन्ट में हमें भी बताएं।

कैसी लगी जानकारी? 

23 मार्च 2013

मेरा ब्लॉग सुनो

कमाल का टाइटल है, है ना? मेरा ब्लॉग सुनो, भला ऐसा भी होता है क्या ब्लॉग पढ़ा तो जाता है पर सुना भी जाता है क्या?

आपके इस प्रश्न का मेरा उत्तर है हाँ, क्यूँ नहीं ब्लॉग भी सुना जा सकता है बशर्ते उसे कोई सुनाने बाला हो। तो सवाल यह है कि कोई सुनाएगा क्यूँ? पर उससे पहले सवाल यह है कि कोई सुनाये ही क्यूँ? अच्छा एक बात बताइये आपकी जिन्दगी की पहली कहानी आपने पढी थी या सुनी थी? भई मैंने तो सुनी थी, पढी तो उसके लगभग ४-५ साल बाद थी :)

अब मेरा दूसरा सवाल यह है कि आपको कहानी सुनने में ज्यादा मजा आता है या पढने में? आपका मुझे नहीं पता पर मुझे सुनने में मजा ज्यादा आता है, चाहे वो मैं मेरे गाँव के बुजुर्गों से सुनूँ या मेरे पापा जी से, और सुनने का यह मजा कहानी तक ही सीमित नहीं है, कविता सुनने का मजा तो उसे पढने के मुकाबले बहुत ज्यादा होता है।

जब हम कोई कहानी और कविता किसी से सुनते हैं तो उसमें रस ही अलग होता है, और कविता पढने में तो कई बार अर्थ का अनर्थ ही हो जाता है, किस्से हमेशा से ही सुने जाते रहे हैं, चुटकुले पढने में वह मजा कभी नहीं आता जो उसे सुनने-सुनाने में आता है।

अब आप कहेंगे कि मैं सुनने-सुनाने की इतनी वकालत क्यूँ कर रहा हूँ? वो इसलिए क्यूंकि मुझे इसमें फायदा दिखाई दे रहा है। किस तरह का फायदा? अभी बता देता हूँ-

हिन्दी का फायदा- हिन्दी में आप लिखते हैं, मैं भी हिन्दी में लिखता हूँ। कुछ ब्लोगिंग प्लेटफोर्म की मदद से हमारे हिन्दी के यह ब्लॉग सालों-साल यहाँ रहने बाले हैं, यह भी अच्छी बात है। पर हमारे ब्लॉग ब्लोगरों के अलावा कितने लोग पढ़ते हैं? शायद ५०-१०० लोग और पढ़ लेते होंगे। इसके पीछे और भी कई कारण हो सकते हैं पर एक कारण यह भी है कि पूरा भारत हिन्दी पढ़ नहीं पाता, मैं ऐसा इसलिए कह सकता हूँ क्यूंकि मेरे हिन्दी के वीडियो ट्यूटोरियल भारत के हर राज्य से खरीदे जाते हैं, जिनमे टेक्स्ट इंग्लिश में लिखा होता है और मेरी आवाज हिन्दी में होती है, एक बार मैंने अपने वीडियो में हिन्दी में लिखा भी और आवाज भी हिन्दी में रखी तो मेरे वीडियो पर कमेन्ट कुछ इस तरह से आये

पर ये लोग हिन्दी को सुन कर समझ लेते हैं ( यह शायद हमारी फिल्मों की मेहरबानी है ). तो हम यदि ब्लॉग को सुना सकें तो हम अपनी बात को और ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकते हैं। यदि हम ऐसा कर पाए तो हो सकता है वह बीता हुआ किस्से-कहानियों का दौर फिर से लौट आये :)

ब्लोगरों का फायदा: ब्लोगरों के लिए असली फायदा तो यही है कि हमारी बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे पर आर्थिक फायदा भी हो सकता है जो इस समय हिन्दी के ब्लॉग से नहीं हो पा रहा है।

कैसे सुना सकते हैं हम अपने ब्लॉग को? अपने ब्लॉग को सुनाने का तरीका बहुत आसान है, आप सभी के पास कम्प्युटर है, कुछ ब्लोगरों के पास तो स्मार्ट-फोन भी है, तो अपनी अपनी डिवाइस में अपने ब्लॉग को पढ़ते हुए ऑडियो रिकोर्ड कर लीजिये, रिकोर्ड करते समय अपने ब्लॉग को वैसे ही पढ़िए जैसे आप किसी को अपना लेख सुना रहे हों। बस हो गया काम आपके पास एक mp३ फ़ाइल आ जायेगी, अब अगली समस्या है की इस ऑडियो फ़ाइल का क्या किया जाए? कैसे इसे अपने ब्लॉग पर अटैच करें जिससे लोग ब्लॉग को पढने के साथ-साथ सुन भी सकें। 

इस ऑडियो फ़ाइल को अटैच करने की समस्या नई नहीं है, यह ब्लोगरों के लिए हमेशा से सरदर्द रहा है। कुछ ब्लोगर divshare का प्रयोग करते हैं पर अभी कुछ माह से divshare में कुछ समस्या आ रही है, इसके आलावा बहुत सी ऐसी वेबसाईट हैं जो ऑडियो फ़ाइल को शेयर करने की सुविधा देतीं हैं पर समस्या यह है की इनमें से अधिकतर मुफ्त नहीं हैं, और जो रुपये लेतीं है वो भी माह के हिसाब से लेतीं हैं और वो भी डॉलर में, जिससे ब्लोगरों की समस्या बढ़ जायेगी।

इस समस्या का समाधान मैंने करने की कोशिश की मेरे VPS में 50GB स्पेस है जिसमें से सिर्फ 20GB ही मैं प्रयोग में ला पाता हूँ कुछ माह पहले मैंने सोचा की क्यूँ ना मैंने अपने सर्वर पर ऑडियो फ़ाइल को रखने की सुविधा ब्लोगरों को दे दूं, तो थोडा प्लान करके मैंने merablogsuno.com नाम से एक डोमेन नेम बुक करवा लिया और वेबसाईट भी तैयार कर ली, अभी इस पर सिर्फ 10 ऑडियो ही अपलोड हो पाए थे की सर्वर की मेमोरी कम पड़ने लगी क्यूंकि यह ऑडियो स्ट्रीम हो रहे थे, मुझे यह तो पता था कि सर्वर पर लोड बढेगा पर इतनी जल्दी जबाब दे जायेगा इसकी उम्मीद नहीं थी। 

सर्वर के जबाब देने के बाद मैं फिर वहीँ आ गया जहाँ से चला था यानी कि समस्या अब भी जस की तस ऑडियो को कहाँ रखा जाए जिससे ब्लॉग पर उसको अटैच किया जा सके और साथ ही लम्बे समय तक कोई समस्या न आये। बहुत से ऑप्शन तलाशने के बाद भी मैं संतुष्ट नहीं हुआ। आखिरकार इस समस्या का एक समाधान मुझे मिला जो थोडा टेढ़ा है पर क्या हुआ, आखिर जूही भी कह चुकीं हैं की टेढ़ा है पर मेरा है :)

ऑडियो ब्लोगिंग के लिए टेढ़ा आइडिया
  • ऑडियो बनायें, 
  • ऑडियो को किसी वीडियो एडिटर में खोलें, अपने ऑडियो से सम्बंधित एक इमेज को चुनें (एक से ज्यादा भी चुन सकते हैं, इमेज का आकार 1280 x 720 px हो तो बेहतर है), 
  • अब इन इमेज और ऑडियो को जोड़ कर एक वीडियो बना लें
  • इस वीडियो को यू-ट्यूब पर पोस्ट करें
इस तरीके से मैंने अर्चना चाव जी का एक ऑडियो यू-ट्यूब पर पोस्ट किया नतीजा ये रहा-

है ना मजेदार? अगर सभी ऑडियो इस तरह से पोस्ट किये जाएँ तो हमें किसी और सर्विस के लिए रुपये नहीं खर्च करने पड़ेंगे। अब जो बाकी काम रह गया वो इन सभी पोडकास्ट को ब्लोगरों की किसी वेबसाईट पर दिखाने का तो वो तो मैं वैसे भी कर ही रहा हूँ- देखिये merablogsuno.com

ये तो ऑडियो की समस्या का समाधान हो गया अब एक और समस्या का समाधान करते हैं जो है ब्लोगरों का छोटे-छोटे समूह में बंट जाना। यदि आप पोडकास्ट बनाते हैं या बनाना चाहते हैं तो आप यह ऊपर बताये गए तरीके से यह काम कर सकते हैं, पर मैं चाहता हूँ की हम ग्रुप में यह काम करें मतलब हम एक ही यू-ट्यूब चैनल बनाएं, एक ही वेबसाईट पर सभी पोडकास्ट पोस्ट की जाएँ, जिससे हम ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी पोडकास्ट पहुंचा सकें। 

एक यू-ट्यूब चैनल होगा तो ज्यादा से ज्यादा सब्स्क्राइबर होंगे। एक वेबसाईट होगी तो पाठक एक ही जगह पर सभी पोडकास्ट सुन / देख सकते हैं। मार्केटिंग / मेंटेनेंस में खर्च कम होगा और साथ ही एड मिलने की संभावना भी बढ़ जायेगी।

इस मामले में आपका क्या कहना है?

10 जनवरी 2013

पिछले 10 दिनों की मेरी सभी पोस्ट

आप कहेंगे कि यहाँ लिखने की क्या जरूरत थी सभी पोस्ट तो ब्लॉग पर दिख ही रहीं हैं। आपकी बात अपनी जगह पर सही है पर अब मैं सिर्फ एक जगह पर नहीं लिखता बल्कि कई जगह पर लिखता हूँ इसलिए अपनी इस ब्लॉग पोस्ट में आपके लिए लाया हूँ सभी पोस्ट के लिंक।

1 जनवरी को मैंने लिखा शिक्षकों के लिए खास वेब २.० तथा शिक्षक नाम से एक लेख जिसमे बताया कि वेब २.० क्या है और शिक्षक पढाने के लिए कैसे इसका प्रयोग कर सकते हैं।

2 जनवरी को लिखा कि कैसे आप एक ऑब्जेक्ट को इन्क्स्केप से ट्रेस कर सकते हैं, यूँ तो यह विद्यार्थियों के लिए लिखा है पर किसी को भी इसकी आवश्यकता पड़ सकती है और वैसे भी इन्क्स्केप एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है तो क्यूँ न इसे आजमा ही लिया जाए।

3 जनवरी को मैंने लिखा कि यदि वेब २.० का प्रयोग करते हुए अध्यापक के लिए एक वेबसाइट बनानी हो तो उसमे क्या-क्या होना चाहिए।

4 जनवरी को मैंने लिखा शिक्षा प्रौद्यौगिकी के बारे में, यह आपको जरूर पढ़ना चाहिए।

5 जनवरी को मैंने आपको बताया एक खास वेब सर्विस के बारे में जो आप सभी के बहुत काम की है। इसका नाम है NINITE, यह आपके सिस्टम में सॉफ्टवेयर को अपडेट करने तथा इंस्टाल करने का काम करता है।

6 जनवरी को आपके लिए लाया एक खास पोस्टर BILINGUAL EDUCATION (द्विभाषी शिक्षा प्रणाली) के बारे में, जिसे आप अपने स्कूल, कोचिंग सेंटर अथवा कॉलेज में लगा सकते हैं।

10 जनवरी को आपके लिए लिखा कैसी होंगी भविष्य की रेलगाडियाँ, देखिये आप भौंचक रह जायेंगे।

06 जनवरी 2013

Bilingual Education (द्विभाषी शिक्षा प्रणाली)

द्विभाषी शिक्षा प्रणाली भारत में बहुत आम है लगभग सभी शिक्षा बोर्ड दो भाषाओं में शिक्षा देते हैं। इसके वावजूद हिन्दी माध्यम से पढ़ कर आये हुए विद्यार्थियों को कॉलेज में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसका अर्थ यह है की कहीं तो समस्या है द्विभाषी शिक्षा प्रणाली में कहीं तो कुछ गलत हो रहा है जिसका खामियाजा हमारे देश के युवाओं को भुगतना पड़ रहा है।
मैं इस समस्या की जड़ तक पहुँचने तथा उसे मिटाने का प्रयत्न कर रहा हूँ, मेरा शोध का विषय यही है। इसी विषय के अंतर्गत मुझे एक पोस्टर तैयार करना था जिसके जरिये लोग द्विभाषी शिक्षा प्रणाली के बारे में थोड़ी से जानकारी हासिल कर पायें। मैंने यह पोस्टर तैयार किया है, इस पोस्टर में चार बिन्दु हैं-
  1. क्या है द्विभाषी शिक्षा प्रणाली
  2. द्विभाषी शिक्षा प्रणाली का लक्ष्य क्या है
  3. कैसे दे सकते हैं द्विभाषी शिक्षा तथा 
  4. द्विभाषी शिक्षा प्रणाली की कौन-कौन सी पद्धति हैं
नीचे पोस्टर दे रहा हूँ, इसको बनाने में छह घंटे का समय लगा तथा मैंने इंकस्केप सोफ्टवेयर का प्रयोग करते हुए इसे बनाया है-
Bilingual Education Poster by +yogendra pal  @TechFest2013 +IIT Bombay 

अगर आपको यह पोस्टर प्रिंट करवा कर अपने स्कूल अथवा कॉलेज में लगवाना है तो मुझे कमेन्ट में लिखिए मैं आपको हाई-रिजोल्यूशन फॉर्मेट दे दूंगा। बताइये मेरा पोस्टर कैसा लगा?

04 जनवरी 2013

शिक्षा प्रौद्यौगिकी (Educational Technology)

शिक्षा प्रौद्यौगिकी यानी एजुकेशनल टेक्नोलोजी यूं तो एक बहुत पुराना क्षेत्र है पर भारत में इस क्षेत्र में अभी तक उतना काम नहीं हुआ है जितना होना चाहिए था। इस लेख में मैं आपको इस क्षेत्र के बारे में बताऊंगा।

क्या है शिक्षा प्रौद्यौगिकी (एजुकेशनल टेक्नोलोजी)?
जैसा के नाम से ही स्पष्ट है कि टेक्नोलोजी का शिक्षा में प्रयोग एजुकेशनल टेक्नोलोजी कहलाता है। यह कोई नया विषय नहीं है पुरातन काल से ही हर समय की नई टेक्नोलोजी को पढने-पढ़ाने के लिए प्रयोग में लाया जाता रहा है। लिखने के लिए पत्थर के इस्तेमाल से बढ़ते बढ़ते आज हम आवाज के प्रयोग तक आ चुके हैं, जहाँ हम जो भी बोल दें वह कम्प्युटर लिख देता है। यह एजुकेशनल टेक्नोलोजी  का ही परिणाम है।

शिक्षा की जरूरत तथा शिक्षा की समस्या को हल करने के लिए आधुनिक टेक्नोलोजी का प्रयोग करते हुए नए टूल (औजार) तथा तरीके विकसित करना  एजुकेशनल टेक्नोलोजी के अंतर्गत आता है।

दिनों दिन भारत में नई-पुरानी कम्पनियाँ अलग-अलग किस्म के एजुकेशनल टेक्नोलोजी से सम्बंधित प्रोजेक्ट प्रारभ कर रहीं हैं। कोई कंटेंट बनाने के लिए टूल बना रही है, कोई कोर्स रन करने के लिए, कोई टेस्ट लेने के लिए सिस्टम बना रही है तो कोई इन सभी चीजों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए।

आई आई टी मुम्बई में इस दिशा में काफी कुछ हो रहा है, मैं खुद आई आई टी मुम्बई से शिक्षा प्रौद्योगिकी में पी एच डी कर रहा हूँ। आई आई टी के इस दिशा में हो रहे प्रयास आपको कुछ दिनों में अपने लेख में बताऊंगा।

03 जनवरी 2013

एक अध्यापक के लिए वेब २.० वेबसाइट

बहुत बात हो चुकी है इस बारे में कि एक वेब २.० वेबसाइट में क्या क्या होता है अब बात करते हैं कि यदि एक अध्यापक के लिए वेब २.० प्रौद्यौगिकी पर आधारित वेबसाइट बनानी हो तो उसमें क्या क्या होना चाहिए|

  • कंटेंट लिखने की सुविधा: एक अध्यापक सामान्यता वह भाषा  (HTML) नहीं जानता जिसकी सहायता से वह वेबसाइट पर लेख लिख सके इसलिए एक ऐसा टेक्स्ट एडिटर अध्यापक को मिलना चाहिए जिसकी सहायता से अध्यापक को अपने लेखों को फॉर्मेट करने में असुविधा ना हो|
  • ब्लॉग: ब्लॉग अध्यापक को वह सुविधा देगा जहां पर अध्यापक अपने विद्यार्थियों से सीधा संपर्क बना सकता है, यहाँ पर वह समय के अनुसार लेख लिख सकता हैं जैसे कि परीक्षा आने पर परीक्षा में कैसे लिखा जाए, छुट्टियों में क्या-क्या किया जाये, प्रोजेक्ट के नये-नये आइडिया इत्यादि|
  • कमेन्ट सिस्टम: ब्लॉग में तथा वेबसाइट के अन्य कंटेंट पर कमेन्ट की सुविधा होना अनिवार्य है जिससे आपको यह भी पता लगे कि आपके विद्यार्थी आपके लेखों के बारे में क्या विचार रखते हैं, क्या-क्या जानना चाहते हैं| विद्यार्थियों के विचारों को जानकार आप अपने आगे के लेखों के बारे में विचार कर सकते हैं|
  • पॉडकास्ट एम्बेड करने की सुविधा: जैसा कि पिछले लेख में बताया जा चुका है डिजिटल मीडिया को पॉडकास्ट कहा जाता है, आप वीडियो बना सकते हैं जिसे आप वीडियो शेयरिंग साइट जैसे कि यू-ट्यूब, वीमियो, ब्लिप.टी.वी. इत्यादि पर रख सकते हैं और उसके बाद उनको अपनी वेबसाइट पर एम्बेड कर सकते हैं| इसी प्रकार आप ऑडियो शेयरिंग साइट का प्रयोग करते हुए अपने ऑडियो पॉडकास्ट को किसी और साइट पर अपलोड करके उसको अपनी साइट पर एम्बेड कर सकते हैं अथवा उसका लिंक अपने विद्यार्थियों को दे सकते हैं| अपने डोक्यूमेंट को शेयर करने के लिए आप डोक्यूमेंट शेयरिंग साइट जैसे कि स्लाइडशेयर का प्रयोग कर सकते हैं| सामान्यता सभी पॉडकास्ट शेयरिंग वेबसाइट आपके कंटेट को एम्बेड करने की सुविधा प्रदान करतीं हैं|
  • टैग: मान लीजिए कि आप किसी एक बिषय पर कई पेज, ब्लॉग, वीडियो, ऑडियो इत्यादि अपनी वेबसाइट पर लिख चुके हैं, अब आप अथवा आपके विद्यार्थी इन सभी चीजों को एक ही साथ देखना चाहते हैं तो कैसे देखेंगे? टैग आपको यही सुविधा प्रदान करता है| टैग के जरिये आप अपने पूरे कंटेट को वर्गीकृत कर सकते हैं|
  • सिग्नल: किसी भी प्रकार की फीड की सुविधा आपकी वेबसाइट में होनी चाहिए जिससे आपकी वेबसाइट के अपडेट होने पर तमाम वेब एप्लीकेशन को आपकी वेबसाइट के अपडेट होने के बारे में पता चल जाए| ऐसी कई एप्लीकेशन हैं जिनका उपयोग विद्यार्थी फीड सब्सक्राइब करने के लिए करते हैं जैसे ही आपकी वेबसाइट पर नया कंटेंट जोड़ा जाएगा विद्यार्थी को अपनी एप्लीकेशन पर पता चल जाएगा और वह तुरंत ही आपके नये लेख को पढ़ लेगा| यदि फीड हर टैग के लिए उपलब्ध हो तब तो कहना ही क्या, इस स्थिती में आपके पाठकों की संख्या में काफी इजाफा होने की सम्भावना है|
  • सोशल बुकमार्किंग: जिससे आपके विद्यार्थी आपके लेखों को दूसरे विद्यार्थियों के साथ सोशल नेट्वर्किंग वेबसाइट पर शेयर कर सकें|


यह एक अध्यापक की वेबसाइट में होने वाले कुछ प्रमुख गुण हैं, पर जरूरत के हिसाब से इनमें इजाफा हो सकता हैं जैसे कि पब्लिकेशन का लिंक, विकी, टेस्ट लेने की सुविधा, यह लिस्ट जरूरत के हिसाब से काफी लंबी हो सकती है|

वेबसाइट पर आने वाले खर्चा:
वेबसाइट बनाने में मुख्य रूप से चार चीजों पर खर्चा करना पड़ता है-
  1. डोमेन नेम- यह सालाना खर्चा है आपको अपने लिए डोमेन नेम प्रतिबर्ष खरीदना होता है|
  2. होस्टिंग- यह वह जगह होती है जहां पर आपके बेबसाइट की फाइलें रखीं जाती हैं, यह अलग-अलग होस्टिंग सर्विस देने बाली कंपनी पर निर्भर करता है सामान्यता 1 GB स्पेस के लिए 500-1200 रुपये तक प्रतिबर्ष देने पड़ते हैं|
  3. वेबसाइट डेवलेपमेंट- वेबसाइट बनाने की प्रक्रिया को वेबसाइट डेवलेपमेंट कहा जाता है, इसमें आपकी वेबसाइट में आपके जरूरत के अनुसार बनाया जाएगा, यह एक बार लिया जाता है तथा जब भी आप कोई नया फीचर जोड़ना चाहें तब लिया जाता है|
  4. वेबसाइट मेंटेनेंस- यह किसी भी वेबसाइट के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसमें समय-समय पर वेबसाइट में आने बाली दिक्कतों को दूर करना, वेबसाइट का बैकअप लेना इत्यादि शामिल होता है|
मुख्य रूप से वेबसाईट बनाने में आने वाला खर्च आपकी जरूरत पर निर्भर करता है, पर यदि एक सामान्य वेबसाइट की बात करें तो डोमेन नेम तथा वेब-स्पेस लेने के बाद कोई वेब-डिजानर 8000-25000 रु. में आपके लिए यह वेबसाइट बना देगा फिर आगे आपकी जरूरतों के हिसाब से इसमें इजाफा हो सकता है|

अपने एक मित्र के लिए मैंने एक ऐसी वेबसाइट बनाई है आप http://rkthenua.in पर देख सकते हैं| यदि आप अपने लिए एक ऐसी वेबसाइट चाहते हैं तो मुझे संपर्क करें yogendra.pal3@gmail.com पर इसमें आपको सालाना 7000/- के लगभग खर्चा आएगा|

01 जनवरी 2013

वेब २.० तथा शिक्षक

जैसा कि इस पोस्ट के शीर्षक से स्पष्ट है, इस पोस्ट में मैं बात करूँगा कि कैसे एक शिक्षक वेब २.० का प्रयोग विद्यार्थियों को पढाने के लिए कर सकते हैं

सबसे पहले यह पता होना चाहिए कि वेब २.० क्या है? 
वेब प्रौद्यौगिकी को आये हुए तो काफी समय हो चुका है पर अपनी शुरूआती अवस्था में जो वेबसाइट्स बनीं वो स्टेटिक थीं, स्टेटिक का हिन्दी में अर्थ होता है स्थिर, इस तरह की वेबसाइट में वेबसाइट बनाने वाला जो अपने पेज पर लिख देता था उसको पढ़ने वाला पूरी दुनिया में इंटरनेट की सहायता से कहीं भी पढ़ सकता था, यह ठीक वैसा ही था जैसे हम किसी पुस्तक को पढ़ते हैं

जब हम पुस्तक को पढ़ते हैं तो हम उस पुस्तक में लिखी किसी बात से सहमत हो सकते हैं, किसी बात से असहमत, हमें कुछ सवाल भी सूझ सकते हैं और लेखक से उनके उत्तर को जानने की इच्छा हो सकती है, पर हम कैसे पूछें? किताब हमें इस तरह की कोई सुविधा नहीं देती ठीक ऐसा ही स्टेटिक वेबसाइट्स में भी होता है आप पढ़ सकते हैं पर लेखक से संपर्क नहीं कर सकते यानि ना ही अपने सवाल पूछ सकते हैं और ना ही अपनी सहमति अथवा असहमति दर्ज करा सकते हैं

वेब २.० शब्द का प्रयोग 1999 में प्रथम बार उन वेबसाइट्स के लिए किया गया था जो ऐसी प्रौद्योगिकी का प्रयोग करती हैं जो वेबसाइट में स्टेटिक पेज से कुछ ज्यादा प्रयोग करने की सुविधा प्रदान करती हैं एक वेब २.० प्रौद्यौगिकी पर आधारित वेबसाइट अपने प्रयोगकर्ताओं को आपस में बातचीत तथा सहयोग करने का मौक़ा प्रदान करती है, ऐसी वेबसाइट में प्रयोगकर्ता खुद एक लेखक हो सकता है सोशल नेट्वर्किंग साइट्स, ब्लॉग, विकीपीडिया, वीडियो शेयरिंग वेबसाइट, होस्टेड सर्विस, वेब एप्लीकेशन इत्यादि वेब २.० प्रौद्यौगिकी पर आधारित वेबसाइट के उदाहरण हैं

शिक्षकों के लिए वेब २.०-
वेब २.० शिक्षकों को पढाने के नये रास्ते दिखाती है सामान्यतया एक शिक्षक एक बार में बहुत कम लोगों को पढ़ा सकता है पर वेब २.० का प्रयोग करते हुए शिक्षक पूरी दुनिया में कहीं भी स्थित अनगनित विद्यार्थियों को पढ़ा सकता है और अपनी पहचान पूरी दुनिया में बना सकता है

वेब २.० प्रौद्यौगिकी का प्रयोग करके बनाईं हुईं वेबसाइट में निम्न सुविधाएं हो सकती हैं,

खोजने की क्षमता: एक वेबसाइट में काफी डाटा हो सकता है, पर यदि खोजने की क्षमता ना हो तो आपकी वेबसाइट के पाठकों को उनकी जरूरत की सामग्री खोजने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए खोज करने की क्षमता किसी शिक्षक की वेबसाइट का एक महत्वपूर्ण अंग है

लिंक्स: लिंक्स तो वेबसाइट की जान होती हैं, लिंक्स का प्रयोग कई प्रकार से एक वेबसाइट पर किया जा सकता है| मुख्य रूप से लिंक दो प्रकार के होते हैं एक तो वो जो प्रयोगकर्ता को वेबसाइट से बाहर ले जाते हैं, यानि कि वो लिंक जो पाठक को और अधिक जानकारी देने वाली वेबसाइट पर ले जाते हैं, और दूसरे वो जो पाठक को इसी वेबसाइट पर रखते हैं, इनका प्रयोग एक पेज से दूसरे पेज पर ले जाने के लिए अथवा उसी पेज पर किसी एक टॉपिक से दूसरे टॉपिक पर ले जाने के लिए किया जाता है|

टैग: टैग का प्रयोग वर्गीकरण के लिए किया जाता है, यह वर्गीकरण किसी भी आधार पर हो सकता है जैसे कि विषय, अध्याय, आयु वर्ग, कक्षा, शिक्षक इत्यादि

एक्सटेंशन: एक्सटेंशन का अर्थ होता है किसी चीज को बढ़ा देना, वेबसाइट को एक एप्लीकेशन (सॉफ्टवेयर) का रूप देना एक्सटेंशन कहलाता है| जैसे कि एडोब रीडर, एडोब फ्लैश प्लेयर, माइक्रोसोफ्ट सिल्वरलाइट एक्टिव-एक्स, जावा, क्विक-टाइम, विंडोज मीडिया इत्यादि


सिग्नल: सिग्नल का अर्थ है सिंडिकेशन का प्रयोग करना, इसमें आर.एस.एस. तथा इसी प्रकार की फीड का प्रयोग करते हुए एक वेबसाइट दूसरी वेबसाइट अथवा एप्लीकेशन को बताती है कि वेबसाइट में नया कंटेंट जोड़ा गया है



सोशल वेब क्या है?
यह तो हुईं वह सुविधाएँ जो कि आपको वेब २.० का प्रयोग करने वाली वेबसाइट पर मिल जायेंगी, अब बात करते हैं सोशल वेब की जो वेब २.० का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। सोशल वेब का प्रयोग करते हुए प्रयोगकर्ता अपना नजरिया, राय, विचार तथा अनुभव ऑनलाइन टूल तथा ऑनलाइन प्लेटफोर्म का प्रयोग करते हुए करता है एक अध्यापक वेब २.० का प्रयोग विद्यार्थियों को पढाने के लिए कर सकता है



ब्लोगिंग: ब्लोगिंग का अर्थ होता है ऑनलाइन डायरी, ब्लॉग का प्रयोग करते हुए आप अपने लेख अपने विद्यार्थियों तक पहुंचा सकते हैं



विकी: विकी का अर्थ एक ऐसी वेबसाइट से होता हैं जहां पर हर किसी को कंटेंट लिखने की आजादी होती है, विकी पर ना सिर्फ अध्यापक बल्कि विद्यार्थी भी बदलाब कर सकता है, विकी को आप चाहें तो अपने स्कूल, क्लास अथवा कोचिंग के लिए बना सकते हैं



पॉडकास्ट: कम्प्यूटर के युग में पढ़ना-पढ़ाना सिर्फ लेखों तक ही सीमित नहीं है, आप पढाने के लिए ऑडियो, वीडियो, पी.डी.एफ. या इसी प्रकार के डिजिटल मीडिया का प्रयोग कर सकते हैं इन पॉडकास्ट को आप अपनी वेबसाइट पर रख सकते हैं अथवा किसी वीडियो शेयरिंग साइट, ऑडियो शेयरिंग साइट, स्लाइड तथा डोक्यूमेंट शेयरिंग साईट पर अपलोड करने के बाद उनको अपनी वेबसाइट पर अटैच कर सकते हैं



सोशल नेट्वर्किंग साइट: आजकल के विद्यार्थी फेसबुक जैसी सोशल नेट्वर्किंग साइट का बहुत प्रयोग करते हैं, इसलिए इस तरह की वेबसाइट पर विद्यार्थियों को पढाने पर उनको ज्यादा पढ़ने के लिए प्रेरित किया जा सकता है



सोशल बुकमार्किंग: बुकमार्क का अर्थ होता है चिन्हित कर देना, सामान्यतया हम उन चीजों को चिन्हित करते हैं जो हमको पसंद आतीं हैं ठीक इसी प्रकार सोशल बुकमार्किंग आपके पाठकों को उनकी पसंद के वेब-पेज को तमाम सोशल नेट्वर्किंग साइट पर शेयर करने की सुविधा करती है

03 सितंबर 2012

विज्ञान और विद्यार्थी : बहुत मजा आया इनके साथ काम करके

प्रिय पाठकों,

जैसा की आप जानते ही हैं की मैं हिन्दी में वीडियो ट्यूटोरियल बनाता हूँ जिससे अपने हिन्दी भाषी भाई-बहनों को कुछ सिखा सकूं|

एक आइडिया बहुत दिनों से दिमाग में कुलबुला रहा था और वह था विज्ञान से सम्बंधित कुछ वीडियो बनाने का, आइडिया आया था श्री दर्शन लाल बाबेजा जी के यूट्यूब-चैनल को देख कर, आप सभी से गुजारिश करूंगा कि इनके यूट्यूब चैनल को ना सिर्फ देखें बल्कि सबस्क्राइब भी करें क्यूंकि हिन्दी में इस तरह के वीडियो चैनल की बहुत कमी है, इसलिए इस तरह के चैनल को बनाने वाले लोगों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है|

आइडिया आना बहुत बड़ी बात नहीं होती, बड़ी बात होती है उसको असल-रूप देना, जो सामान्यतया आसान नहीं होता| मैं विज्ञान के वीडियो खुद नहीं बनाना चाहता था बल्कि चाहता था कि कुछ विद्यार्थी इस तरह के वीडियो बनायें जिससे बाकी विद्यार्थियों को प्रोत्साहन मिले और जो विद्यार्थी वीडियो बनायें उनका आत्मविश्वास बढे|

अब अगली समस्या यह थी कि ऐसे विद्यार्थी कहाँ से लाऊँ जो ऐसे वीडियो बनाने के लिए तैयार हों? मेरे आस-पास में ऐसे दो विद्यार्थी मुझे मिल ही गए, पहले हाई-स्कूल के विद्यार्थी आलोक वर्मा जो कि मेरे घर में ही रहते हैं और दुसरे इंटरमीडिएट में पढने वाले अतुल पाल जो मेरी बुआ जी के बेटे हैं|

बस फिर क्या था आइडिया उन दोनों को बताया गया और यह भी साफ़ कर दिया गया कि मैं किसी भी प्रकार का डिस्टर्बेंस नहीं चाहता यानि कि मेरे पास यह पूछने मत आना कि कौन सा प्रोजेक्ट चुनें, इस प्रोजेक्ट में यह दिक्कत आ रही है वह दिक्कत आ रही है इत्यादि| आपको किताब, रिसोर्स जो भी चाहिए वह मैं उपलब्ध करा देता हूँ पर मुझे बार-बार प्रोजेक्ट के लिए परेशान करने मत आना|

असल में यह एक तरीका होता है, अच्छे से अच्छा काम करवाने का, जब आप विद्यार्थियों से काम करवाना चाहें तो उनको एक ऐसा माहौल दीजिये जिसमें वह खुल कर काम कर सकें, आप सिर्फ उनको रिसोर्स उपलब्ध करवा दीजिये|

अगले चार दिन में वह मेरे पास 7 प्रोजेक्ट ले कर आये जो वो बना सकते थे, जो कि मेरी उम्मीद से काफी अच्छे प्रोजेक्ट थे, फिर क्या था मैंने उनको बनाने की अनुमति दे दी और कुछ पैसे भी :)

पहला प्रोजेक्ट जो उन्होंने चुना वह था, घर पर इलेक्ट्रो-मैग्नेट बनाने का, इस प्रोजेक्ट के लिए वीडियोग्राफर, एडिटर का काम मैंने किया बाकी सभी इन दोनों ने ही, जब यह वीडियो बना तो हम काफी खुश थे क्यूंकि यह मेरी उम्मीद से अच्छा बना था, क्या आप देखना चाहेंगे इस वीडियो को? देर किस बात की देख ही लीजिये

आपने देख ही लिया है, कैसा बना है यह वीडियो, इस वीडियो में हुई कुछ गलतियों को सुधार कर दूसरा वीडियो बनाया गया जिसमे भी वीडियोग्राफर और एडिटर का रोल मैंने निभाया, पेश है आपके सामने दूसरा वीडियो जिसमे आपको सिखाया जाएगा कि कैसे बना सकते हैं ऑटोमैटिक स्ट्रीट लाईट- देख कर बताइयेगा जरूर कि कैसा लगा
इस दुसरे वीडियो की रिकोर्डिंग तक आलोक और अतुल दोनों ही वीडियो एडिटिंग सीख चुके थे, इसलिए इस वीडियो में वीडियो एडिटिंग का काम भी इन दोनों ने ही किया है, इस वीडियो में इन्होने सिखाया है कि कैसे आप इलैक्ट्रोनिक रैन अलार्म बना सकते हैं, तो देर किस बात की देखिये और साथ में दुसरे विद्यार्थियों को भी दिखाइये-
और यह रहा चौथा और इस क्रम में आख़िरी वीडियो जिसमे सिखाया गया है कि कैसे आलू से भी बिजली पैदा की जा सकती है, तो बिना देर किये देखिये यह चौथा और आख़िरी वीडियो-
यह चौथा वीडियो आख़िरी जरूर है पर सिर्फ इस सीरीज का, इस तरह के वीडियो आगे भी आते रहेंगे, यह अलग बात है कि कब आयेगें कहा नहीं जा सकता|

शिकायत: एक शिकायत भी है मुझे हमारे आस-पास के माहौल से, पहला वीडियो बनाने के बाद जब मैंने दोनों विद्यार्थियों के माता-पिता को दिखाया तो उनके चेहरे पर कोई प्रसन्नता नहीं थी, बल्कि इस शिकायत थी कि फालतू कामों में अपना समय क्यूँ बर्बाद कर रहे हो? यह सिर्फ इसलिए क्यूंकि इस तरह के प्रोजेक्ट उनके नंबरों में किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी नहीं देते| पता नहीं कब हमारा समाज यह नंबर रेस ख़त्म होगी जिसमे हमारे देश का भविष्य (विद्यार्थी) पिस रहा हैं, कभी कभी तो मुझे लगता है कि विद्यार्थियों को सिखाने से पहले उनके माता-पिता के लिए एक स्कूल की आवश्यकता है जहाँ उनको सिखाया जाए कि बच्चों को कैसे प्रोत्साहित करना है|

ब्लोगरों से: आपके आस-पास भी इस तरह के विद्यार्थी होंगे, आप उनको प्रोत्साहित कीजिये जिससे वो भी कुछ इस तरह के कार्य कर सकें, उनको दुनिया के सामने लाइए इससे ना सिर्फ उनको प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि आप को भी कुछ सार्थक करने की खुशी मिलेगी - धन्यवाद|

बहाने का जबाब: बहुत से अध्यापकों से मैंने बात की कि अपने स्कूल में इस तरह की एक्टिविटी को बढ़ावा दो तो ना सिर्फ आपके विद्यार्थियों का मनोबल बढेगा बल्कि आपके स्कूल का नाम भी होगा, अधिकतर का जबाब उर्फ़ बहाना ये कि रुपये कहाँ से आयेंगे, इस बहाने का उत्तर यह है कि इन चार वीडियो को बनाने में कुल खर्चा 500/- रु. आया और अभी तक मुझे कुल दो वीडियो से ही मात्र दो माह में यूट्यूब के जरिये मुझे 200/- रु. मिल चुके हैं यानी साल भर में लगाए गए रुपये से दुगुना रूपया मेरे पास आ जायेगा, और यह वीडियो यूट्यूब पर पड़े-पड़े कमाते ही रहेंगे, और क्या चाहिए?

10 जनवरी 2012


नमस्कार दोस्तों,

आपको यह बताते हुए खुशी का अनुभव कर रहा हूँ कि मेरी एक बहुप्रतीक्षित वीडियो ट्यूटोरियल की श्रंखला प्रारंभ हो गयी है, इसको नाम दिया गया है " Yogi's guide to C++" यानि "योगी की सी++ गाइड" मेरी अन्य वीडियो पुस्तक की तरह ही यह भी हिन्दी में ही है|

यह वीडियो श्रंखला उन सभी विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद है जिनके सिलेबस में सी++ शामिल है, जैसे कि इंटरमीडिएट के छात्र, इंजीनियरिंग के छात्र तथा कंप्यूटर साइंस अथवा  इन्फोर्मेशन टेक्नॉलोजी के बेचलर तथा मास्टर कोर्स के छात्र इत्यादि|

तो देर कैसी देखिये मेरी इस श्रंखला का यह पहला वीडियो और प्रारंभ कीजिए सी++ सीखना आज से ही-


इस वीडियो को तो आप देख ही चुके हैं तथा समझ भी गए होंगे कि मैं आपको कैसे सिखाऊँगा, वैसे यदि आप मेरे विद्यार्थी हैं यानि कि यदि आप मेरी पहली वीडियो पुस्तक "My First Interaction with C programming" ले चुके हैं तो आप जानते ही होंगे कि इन वीडियो से सीखना कितना आसान होता है|

इस श्रंखला की कीमत रखी गयी है मात्र 350/- रु., जहाँ आज की तारीख में सी++ सिखाने के लिए कोचिंग सेंटर कम से कम 1000/- रु. लेते हैं वहाँ मेरी यह श्रंखला आपकी जेब को थोड़ी राहत प्रदान करेगी| साथ ही इस श्रंखला में आपको वीडियो के साथ साथ कुछ ऐसा मैटेरियल मिलेगा जो सीखने में आपकी मदद करेगा जैसे कि आपके द्वारा पूछे जाने वाले सभी सवालों के जबाब तथा पुराने प्रश्न पत्रों के हल|

मुझे पूरी उम्मीद है आप मेरी इस श्रंखला को भी उतना ही पसंद करेंगे जितना आपने मेरी पिछली वीडियो पुस्तक को पसंद किया था, यदि आप मेरी इस श्रंखला का हिस्सा बनाना चाहते हैं तो संपर्क कीजिये 9022419053 पर अथवा learnywatch@gmail.com पर|

अगले एक सप्ताह तक आप मेरे वीडियो मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं उसके लिए आप अपना ई-मेल एड्रेस 9022419053 अथवा learnywatch@gmail.com पर भेज दीजिए|

30 जुलाई 2011

हिंदी में कमाई का फुल प्रूफ प्लान

मित्रों मेरी इस धन कमाने से सम्बंधित सीरीज में कहीं भी यह लेख लिखना शामिल नहीं था क्यूंकि मैं सिर्फ कमाने से सम्बंधित लेखों पर ही ध्यान देना चाहता था, जिसके लिए मैंने कुछ मिश्रित प्लान किया है और आज वही आपके सामने प्रस्तुत करने की बारी थी, पर आप लोगों के ई-मेल, फोन तथा कमेंटों ने मेरे ऊपर एक तरह का दबाब बना दिया है और वह दबाब है "हिन्दी की सेवा"

मुझे पहली बार पता चला की इतनी बड़ी संख्या में लोग हिन्दी की सेवा करना चाहते हैं, इसलिए आज प्रस्तुत है हिन्दी में सेवा तथा कमाई करने का फुल प्रूफ प्लान यह प्लान कभी फेल नहीं हो सकता ऐसा मेरा मानना है, तो देर किस बात की आइये देखते हैं की प्लान क्या है?

मित्रों कुछ बातें हर हिन्दी दिवस पर सुनता हूँ, आपने भी सुनी होंगी
  1. शर्म आनी चाहिए हिन्दी की सेवा का दम भरने वाली संस्थाओं को,
  2. क्या हिन्दी सिर्फ हिन्दी दिवस तक ही सीमित रहनी चाहिए, क्या अन्य दिनों में हिन्दी में कार्य नहीं किया जा सकता,
  3. इन फ़िल्मी सितारों की फिल्मों का बहिष्कार कर देना चाहिए क्यूंकि ये हिन्दी बोलना ही नहीं जानते (कलाकारों के नाम में नहीं लूँगा, उसके लिए आप हिन्दी दिवस के लेखों को ढूंढिए)
  4. क्या यही है हिन्दी अखबार, जिसमे आधे से ज्यादा शब्द इंग्लिश में होते हैं?
ऐसे लेखों से में नफरत करता हूँ, क्यूंकि ये सिर्फ लेख होते हैं इनसे कुछ किया नहीं जा सकता हो सकता है कि ऐसे लेख लिखने वाले लेखकों के पास हिन्दी का भला करने के लिए कोई आइडिया ना हो, पर क्या सच में ऐसा हो सकता है कि आपके दिल में कुछ करने की भावना हो और रास्ता ना मिले?

हिन्दी दिवस से कुछ याद आया, तब ब्लोगिंग में ज्यादा सक्रीय नहीं था अतः आज आप सभी के साथ शेयर कर देता हूँ
हिन्दी दिवस के अवसर पर मेरे ऑफिस में आयोजित प्रतियोगिताएं में मैंने भी कुछ जीता :)

इसलिए मैं आज लाया हूँ आपके पास कुछ ऐसा जिसके जरिये आप ना सिर्फ हिन्दी की सेवा कर सकते हैं बल्कि कमा भी सकते हैं और उम्मीद है इस लेख को पूरा पढने पर आपके दिमाग में ये तो साफ हो जाये कि हिन्दी सेवा के लिए क्या करना है, पर एक नई समस्या आ जाये कि ये कैसे करना है, पर आप चिंता ना करें यदि आप चाहें तो मैं आपकी मदद करूंगा :)

पहले आपको कुछ सबूत देता हूँ जिससे आपको पता चले कि मैं जो कह रहा हूँ वह सच है, यह है मेरे यू-ट्यूब के चैनल की रिपोर्ट-

वैसे तो इस रिपोर्ट में कुछ ज्यादा समझाने लायक बात नहीं है पर कुछ बातें इसमें नोट करने लायक हैं-
  • यूट्यूब पार्टनरशिप 14 फरवरी 2011 को मिली और यह रिपोर्ट 27 जुलाई 2011 तक की है, यानि कि यह रिपोर्ट 5 माह 12 दिन की है, 
  • इतने दिनों की कुल आय $48 है, यानि कि 2,121.60 रु., यानि कि प्रतिदिन 14 रु.
  • हिन्दी के वीडियो होने के बाद भी यू. एस. से $२०  की आय हुई है :) जो एक अच्छा संकेत है,
  • सबसे आख़िरी वीडियो जो इस लिस्ट में दिख रहा है उसमे मैंने जानबूझ कर computer की स्पेलिंग गलत लिखी है, पर फिर भी उस वीडियो से $1 की आय हुई है, जबकि यह वीडियो गलत स्पेलिंग की वजह से यूट्यूब तथा गूगल में सर्च में नहीं आएगा
आप ही सोचिये कि जब मेरे मात्र 42 वीडियो जिनकी कुल लम्बाई मात्र 85 मिनट है और पूरी तरह से हिन्दी में हैं, यू-ट्यूब पर औसतन प्रतिदिन 14 रु. की आय कर रहे हैं तो यदि कुल 15 घंटे के वीडियो यूट्यूब पर अपलोड कर दें तो प्रतिदिन 150 रु. की आय यानि 4500 रु. प्रतिमाह की आय कहीं नहीं गई :)
यहाँ पर गौर करने लायक बात यह है कि 1 घंटे के वीडियो बनाने में कुल छह घंटे का समय लगता है, और पंद्रह घंटे के वीडियो बनाने में एक आम व्यक्ति को अपने ऑफिस के काम के बाद करीब दो माह का समय लगेगा, सिर्फ दो माह काम करके यदि 4500 रु. प्रति माह की आय निश्चित हो जाये तो यह कोई बुरा सौदा नहीं है 

इस के लिए आपको क्या करना है?

चरण १:  किसी भी विषय पर शिक्षाप्रद वीडियो (शिक्षाप्रद वीडियो के बारे में मेरे पास कुछ ऐसे आइडिया हैं जो सिर्फ गृहणियों के लिए ही हैं, यदि आप में से कोई बनाना चाहे तो कमेन्ट में मुझे बताएं, एक पूरा लेख सिर्फ इसी बिषय पर लिखने की कोशिश करूंगा) हिन्दी में बनाना शुरू कर दें, यकीन मानिए यह बहुत आसान तो नहीं है पर बहुत कठिन भी नहीं है, (यदि आप वीडियो बनाना सीखना चाहते हैं तो आप मुझे बताइए, आई.आई.टी. मुम्बई में आपको इसकी ट्रेनिंग दिला सकता हूँ) एक घंटे के वीडियो बनाने के बाद-

चरण २: एक वेबसाईट बना लें (इंग्लिश में), यदि एक पेज भी होगा तो भी चलेगा क्यूंकि आपको सिर्फ गूगल एडसेंस अकाउंट खोलना है, पहले कोशिश करें एक ब्लॉग बनाने का जिस पर पांच-छह इंग्लिश के लेख लिख दें और गूगल एडसेंस के लिए एप्लाई कर दें, आपको एडसेंस अकाउंट मिल जायेगा, बस उसके बाद ब्लॉग को ऐसा ही बना रहने दें

चरण ३: यूट्यूब पर अपने सभी वीडिओ अपलोड कर दें, और 10000 अवलोकन (view) होने का इंतज़ार करें, जिस दिन 10,000 बार आपके वीडियो देखे जा चुके हों उस दिन यू-ट्यूब पार्टनरशिप के लिए आवेदन कर दें, इसके लिए आपके पास गूगल एडसेंस अकाउंट होना जरूरी है जिसके लिए आपको चरण २ पूरा करना होगा

चरण ४: चाहें तो आराम करें चाहें और वीडियो बना कर यू-ट्यूब पर डालते रहें, सिर्फ गूगल एडसेंस अकाउंट के साथ ज्यादा छेड़खानी ना करें क्यूंकि जिस दिन आपका गूगल अकाउंट गया उस दिन यू-ट्यूब पार्टनरशिप भी गयी :(

मित्रो मैंने आपको इस लेख में बहुत सी बातें बता दीं हैं, हो सकता है आपको अब तक कमाई करने का तरीका समझ में आ गया होगा, पर कुछ सवाल भी आपके दिमाग में घूम रहे होंगे, उनको अपने दिमाग में ज्यादा देर तक घूमने ना दें, कमेन्ट में लिखें, आपके सवाल का उत्तर देने का प्रयत्न करूंगा

schadenfreude the crispy garnish that tastes just like its name 

एक बात उन लोगों को जिनके ई-मेल मेरे पास आये थे
जिस तरह की भावनाओं के साथ आपने अपने ई-मेल मेरे पास भेजे थे, उन भावनाओं को देख कर तो यही लग रहा था कि आप हिन्दी सेवा के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं, आप लोगों ने लिखा था कि कितनी भी मेहनत करने के लिए तैयार हैं, मैं देखना चाहता हूँ कि लोग सिर्फ बोलना ही जानते हैं या करने की भी हिम्मत रखते हैं, आपको हर संभव मदद दूंगा, इसलिए आई.आई.टी. में प्रोफ़ेसर से बात भी कर ली है और वो वीडियो बनाना सिखाने के लिए वर्कशॉप कराने के लिए तैयार हैं, आप एक कदम उठाइये सफलता आपकी तरफ दो कदम उठायेगी, मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं
<- आंकड़े बोलते हैं, ब्लोगिंग से कमाई      ^ब्लोगिंग से कमाई, मैं तैयार हूँ, आप?

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