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10 जनवरी 2012


नमस्कार दोस्तों,

आपको यह बताते हुए खुशी का अनुभव कर रहा हूँ कि मेरी एक बहुप्रतीक्षित वीडियो ट्यूटोरियल की श्रंखला प्रारंभ हो गयी है, इसको नाम दिया गया है " Yogi's guide to C++" यानि "योगी की सी++ गाइड" मेरी अन्य वीडियो पुस्तक की तरह ही यह भी हिन्दी में ही है|

यह वीडियो श्रंखला उन सभी विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद है जिनके सिलेबस में सी++ शामिल है, जैसे कि इंटरमीडिएट के छात्र, इंजीनियरिंग के छात्र तथा कंप्यूटर साइंस अथवा  इन्फोर्मेशन टेक्नॉलोजी के बेचलर तथा मास्टर कोर्स के छात्र इत्यादि|

तो देर कैसी देखिये मेरी इस श्रंखला का यह पहला वीडियो और प्रारंभ कीजिए सी++ सीखना आज से ही-


इस वीडियो को तो आप देख ही चुके हैं तथा समझ भी गए होंगे कि मैं आपको कैसे सिखाऊँगा, वैसे यदि आप मेरे विद्यार्थी हैं यानि कि यदि आप मेरी पहली वीडियो पुस्तक "My First Interaction with C programming" ले चुके हैं तो आप जानते ही होंगे कि इन वीडियो से सीखना कितना आसान होता है|

इस श्रंखला की कीमत रखी गयी है मात्र 350/- रु., जहाँ आज की तारीख में सी++ सिखाने के लिए कोचिंग सेंटर कम से कम 1000/- रु. लेते हैं वहाँ मेरी यह श्रंखला आपकी जेब को थोड़ी राहत प्रदान करेगी| साथ ही इस श्रंखला में आपको वीडियो के साथ साथ कुछ ऐसा मैटेरियल मिलेगा जो सीखने में आपकी मदद करेगा जैसे कि आपके द्वारा पूछे जाने वाले सभी सवालों के जबाब तथा पुराने प्रश्न पत्रों के हल|

मुझे पूरी उम्मीद है आप मेरी इस श्रंखला को भी उतना ही पसंद करेंगे जितना आपने मेरी पिछली वीडियो पुस्तक को पसंद किया था, यदि आप मेरी इस श्रंखला का हिस्सा बनाना चाहते हैं तो संपर्क कीजिये 9022419053 पर अथवा learnywatch@gmail.com पर|

अगले एक सप्ताह तक आप मेरे वीडियो मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं उसके लिए आप अपना ई-मेल एड्रेस 9022419053 अथवा learnywatch@gmail.com पर भेज दीजिए|

10 मार्च 2011

मैनपुरी के छात्र, मैनपुरी का भविष्य

कहा जाता है कि किसी भी देश का भविष्य उस देश के युवा होते हैं, मैं मैनपुरी के युवाओं की बात करना चाहूँगा, मैं पिछले कुछ दिनों से मैनपुरी में था, Learn By Watch के कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र को एक नई दिशा देने के लिए मेरा वहाँ जाना हुआ था|

मैंने सोचा कि क्यूँ ना बच्चों का एक टेस्ट ले लिया जाए जिससे यह पता चल जाए कि यहाँ के विद्यार्थी किस लेवल के हैं ? बस यह विचार दिमाग में आते ही मैंने एक आई.क्यू. टेस्ट तैयार किया और जानबूझ कर उसको थोडा सा कठिन रखा, मेरा मानना है कि आज के दौर में आगे बढ़ने के लिए हर क्षेत्र की थोड़ी-२ जानकारी आवश्यक है सो इस टेस्ट को कुछ ऐसा ही बनाया गया था | इस टेस्ट के २ अलग-अलग सेट तैयार किये गए जिनके प्रश्न समान थे पर उत्तर अलग-अलग थे जिससे नक़ल कर के नंबर लाने वालों की संख्या में कटौती की जा सके |

कुल 85 छात्र-छात्राओं ने टेस्ट में भाग लिया, जिसमे सेंट सोल्जर पब्लिक स्कूल तथा ब्लूमिंग बड्स के विद्यार्थी सर्वाधिक मात्रा में शामिल हुए | बहुत कम लोगों के नंबर २५% से कम थे, शायद २-३ विद्यार्थी ही ऐसे थे, इतनी ही संख्या ७५% से अधिक अंक पाने वाले विद्यार्थियों की थी, बाकी सभी विद्यार्थीओ ने २५% से ७५% तक के अंक  प्राप्त किये थे |

जिस प्रकार का मैंने टेस्ट बनाया था मैं २५% से कम अंक की ही उम्मीद कर रहा था, पर विद्यार्थिओं ने कमाल कर दिया और उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया, यहाँ ध्यान देने की बात यह रही कि सभी लोग इस टेस्ट में हिस्सा लेने के लिए स्वतन्त्र थे पर कॉलेज के विद्यार्थियों ने इस टेस्ट को नहीं दिया मुझे इसके २ कारण नजर आते हैं और वह है हीन-भावना या घमंड,

हो सकता है कि हीन-भावना से ग्रसित रहे हों वह विद्यार्थी, यह सोच रहे हो कि पता नहीं कैसा टेस्ट होगा? कैसे कर पायंगे? कितने नंबर ला पाएंगे? क्या पुछा जायेगा? कहीं ऐसा न हो कि वेइज्जती हो जाए वगैरह-वगैरह यदि ऐसा है तो इन विद्यार्थिओं के साथ-साथ मैनपुरी का भविष्य भी अंधकारमय है, क्यूंकि यह वो विद्यार्थी हैं जिनको अब लगातार कई परीक्षाएं देनी हैं, इनको इस तरह के पेपर के लिए तैयार रहना है पर वे दुविधा में है तैयार ही नहीं हैं, ऐसे में ये विद्यार्थी क्या करेंगे यह तो वक्त ही बताएगा पर मुझे काले बादल नजर आ रहे हैं

यदि घमंड में थे कि क्या फालतू टेस्ट देंगे, क्या होगा इस टेस्ट से? मुझे जरूरत नहीं है ऐसे टेस्ट की इत्यादि तो भी समस्या गंभीर है क्यूंकि विद्यार्थी को झुक कर चलना चाहिए किसी भी टेस्ट को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए, इस स्थिति में भी समस्या गंभीर है और समाधान खोजना बहुत जरूरी है

स्कूली विद्यार्थियों ने कमाल का प्रदर्शन किया और समय खत्म होने के बाद भी विद्यार्थी आते ही जा रहे थे, उनमे जोश था अपने दोस्तों से आगे निकलने की तमन्ना थी, किसी भी प्रकार के प्रश्न को हल करने का जूनून था और सपने थे, कुछ कर दिखाने के, यदि यह विद्यार्थी ही मैनपुरी का भविष्य हैं तो यह भविष्य एक स्वर्णिम भविष्य है,

मुझे ऐसा लगा कि स्कूल तथा कॉलेज के बीच ऐसा कुछ है जो छात्रों को खोखला कर रहा है, जहाँ स्कूली छात्र जोश में लबालब थे वहीँ कोलेज के छात्र किसी भार के तले दबे हुए, उनकी आँखों में जहाँ सपने होने चाहिए थे कुछ भी नहीं था, मैं कोशिश करूँगा कि इन छात्रों के अंदर आत्म-विश्वास पैदा कर सकूं जो कहीं खो गया है, क्यूंकि मैं नहीं चाहता कि मैनपुरी हमेशा अविकसित ही रहे उसका विकास इन विद्यार्थियों के कन्धों पर है और इन कन्धों को मजबूत बनाना मेरा और सभी मैनपुरी निवासियों का पहला कर्तव्य होना चाहिए, मेरी कोशिश हमेशा जारी रहेगी यदि आप कुछ कर सकते हैं तो जरूर करिये -


धन्यवाद 

18 सितंबर 2009

सीखने का एक नया माध्यम : "विडियो"

अभी तक हम-आप सभी किताबों से सीखते आये हैं| सही भी है, किताबों से अच्छा कोई सिखा भी नहीं सकता और किताबों जैसा कोई मित्र हो भी नहीं सकता| आज तक हमने-आपने जो कुछ भी सीखा किताबों से ही सीखा पर जब बात कंप्यूटर सीखने की हो तो सिर्फ किताबें काम नहीं आतीं क्यूंकि कंप्यूटर में आप कुछ सीखना चाहते हैं तो Practically ही सीख सकते हैं| उसके लिए कोचिंग का सहारा लिया जाता है जहाँ पर Teacher हमें कंप्यूटर पर काम कर के दिखता है और हम सीखते हैं| यानि की एक बात पूरी तरह साफ़ है की कंप्यूटर को हम लोग सिर्फ पढ़ कर नहीं सीख सकते बल्कि उसको देख कर सीख सकते हैं|
हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं की कंप्यूटर को सीखने के लिए कोचिंग से अच्छा कोई तरीका नहीं है| पर क्या वास्तव में ऐसा है? कोचिंग आपको किताबों की तरह से स्वतंत्रता नहीं दे सकती| आप किताब को दिन-रात सुबह-शाम जब मन करे पढ़ सकते हैं पर क्या आप कोचिंग में कभी भी जा सकते हैं? नहीं| आप कोचिंग में एक निश्चित समय पर ही जा सकते हैं, उसके अलावा कोचिंग सेण्टर में आप प्रवेश नहीं पा सकते|
एक और बात है जो की कोचिंग को किताबों से अलग करती है वो है "फीस"| आप किताब को खरीदने के लिए या फिर कहा जा सकता है की किताब से सीखने के लिए सिर्फ एक बार फीस देते हैं| अगर किताब से आपको एक बार में कोई चीज़ समझ में नहीं आ रही है तो आप उसको बार बार पढ़ सकते हैं पर कोचिंग ख़त्म होने के बाद आप उसी चीज़ को दुबारा सीखने की दुबारा फीस देंगे|
इसके अतिरिक्त यदि आप बीमार हैं, आपको किसी शादी में जाना है या आपके घर में कोई काम है तो आप अपने उस काम को कर सकते हैं बिना इस बात की चिंता किये की आपका आज का पाठ छूट जायेगा क्यूंकि आप उसको समय मिलने पर किताब से पढ़ सकते हैं| पर कोचिंग में ऐसा नहीं हो सकता आपका जो पाठ आपके किसी जरूरी काम की वजह से छूट गया उसको आप दुबारा नहीं कर सकते|
हर स्टुडेंट का पढने और समझने की गति अलग अलग होती है| किताब से हर स्टुडेंट अपने हिसाब से पढता है, अपनी गति से पढता है पर कोचिंग में आप उस गति से पढ़ते हैं जिस गति से Teacher पढाना चाहता है| जिससे कुछ स्टूडेंट्स को तो समझ में ही नहीं आता की क्या पढाया जा रहा है और कुछ को लगता है की बहुत ही धीरे पढाया जा रहा है और दोनों ही तरह के स्टूडेंट्स की रूचि ख़त्म हो जाती है|
कोचिंग में आने-जाने का टाइम भी लगता है जवकि किताब से पढ़ते समय आप आने जाने में व्यय होने वाले समय को और ज्यादा सीखने में लगा सकते हैं|
किताब से सीखने के लिए आप एक बार फीस देते हैं और आपके घर का हर सदस्य सीख सकता है| कोचिंग में आपको हर सदस्य के लिए अलग अलग फीस चुकानी होगी|
एक मुख्य बात और है जो की सिर्फ इंग्लिश भाषा की जानकारी ना रखने वालों के लिए है| ज्यादातर किताबें (कंप्यूटर सम्बंधित) इंग्लिश में ही प्रकाशित होती हैं हिंदी में प्रकाशित होने वाली किताबें पहले तो बहुत ही कम प्रकाशित होती हैं और अगर प्रकाशित होती भी है तो उसकी गुणवत्ता इंग्लिश की किताबों की तरह नहीं होती| इसलिए कोचिंग का सहारा लेना कुछ स्टूडेंट्स की मजबूरी भी होती है| इसके अतिरिक्त किताबों से सीखना कोचिंग से सीखने के मुकाबले बहुत धीरे होता है|
इस तरह अगर देखा जाये तो सीखने के दोनों ही माध्यमों की अपनी-अपनी खूबियाँ और कमजोरियां हैं|
सीखने का एक माध्यम ऐसा भी है जो किताबों और कोचिंग दोनों की ही खूबियाँ आपको देता है और वो माध्यम है "विडियो". विडियो सीखने का एक ऐसा माध्यम है जो आपको किताबों की सभी खूबियाँ मिलेंगी जैसे की-

  1. आप अपनी गति से पढ़ सकते हैं|
  2. पाठ छूटने का कोई डर नहीं क्यूंकि विडियो आपके पास है जिसे आप जब चाहे तब देख सकते हैं|
  3. विडियो को आप एक बार खरीदेंगे और बार बार देख सकते हैं, अपने घर के सदस्यों को भी दिखा सकते हैं|
साथ ही कोचिंग की सभी खूबियाँ भी जैसे की-

  1. विडियो में आप किसी भी काम को Teacher की आवाज के साथ कंप्यूटर पर होता हुआ देख तथा सुन सकते हैं, जैसा की आप कोचिंग में देखते और सुनते हैं|
  2. किताबों के मुकाबले तेज गति से सीख सकते हैं|
  3. विडियो आपकी अपनी भाषा में भी हो सकते हैं|
तो इस तरह विडियो आपको किताब और कोचिंग दोनों की खूबियाँ एक साथ देते हैं| और कुछ कमियों को दूर भी करते हैं जैसे की-

  1. कोचिंग आने-जाने में लगने वाला समय बचता है|
  2. मनुष्य का दिमाग देखी और सुनी हुई चीज़ों को पढ़ी हुई चीज़ों से ज्यादा याद रखता है| इस बात का फ़ायदा भी आपको विडियो से मिलेगा|
  3. पढ़ते समय ध्यान ज्यादा लगाना पड़ता है पर देखते हुए उतना ध्यान देने की जरूरत नहीं होती|
विडियो पाठ का एक उदाहरण आप नीचे देख सकते हैं|





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यदि आप और भी कुछ जानना चाहते हैं तो मुझे मेल कर सकते हैं yogendra.pal3@gmail.com पर|

यदि आपको यह लेख तथा विडियोपसंद आया हो तो कृपया अपना जबाब छोडें, आपका जबाब हमें और लिखने के लिए प्रेरित करेगा, धन्यवाद|

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