कहा जाता है कि किसी भी देश का भविष्य उस देश के युवा होते हैं, मैं मैनपुरी के युवाओं की बात करना चाहूँगा, मैं पिछले कुछ दिनों से मैनपुरी में था, Learn By Watch के कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र को एक नई दिशा देने के लिए मेरा वहाँ जाना हुआ था|
मैंने सोचा कि क्यूँ ना बच्चों का एक टेस्ट ले लिया जाए जिससे यह पता चल जाए कि यहाँ के विद्यार्थी किस लेवल के हैं ? बस यह विचार दिमाग में आते ही मैंने एक आई.क्यू. टेस्ट तैयार किया और जानबूझ कर उसको थोडा सा कठिन रखा, मेरा मानना है कि आज के दौर में आगे बढ़ने के लिए हर क्षेत्र की थोड़ी-२ जानकारी आवश्यक है सो इस टेस्ट को कुछ ऐसा ही बनाया गया था | इस टेस्ट के २ अलग-अलग सेट तैयार किये गए जिनके प्रश्न समान थे पर उत्तर अलग-अलग थे जिससे नक़ल कर के नंबर लाने वालों की संख्या में कटौती की जा सके |
कुल 85 छात्र-छात्राओं ने टेस्ट में भाग लिया, जिसमे सेंट सोल्जर पब्लिक स्कूल तथा ब्लूमिंग बड्स के विद्यार्थी सर्वाधिक मात्रा में शामिल हुए | बहुत कम लोगों के नंबर २५% से कम थे, शायद २-३ विद्यार्थी ही ऐसे थे, इतनी ही संख्या ७५% से अधिक अंक पाने वाले विद्यार्थियों की थी, बाकी सभी विद्यार्थीओ ने २५% से ७५% तक के अंक प्राप्त किये थे |
जिस प्रकार का मैंने टेस्ट बनाया था मैं २५% से कम अंक की ही उम्मीद कर रहा था, पर विद्यार्थिओं ने कमाल कर दिया और उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया, यहाँ ध्यान देने की बात यह रही कि सभी लोग इस टेस्ट में हिस्सा लेने के लिए स्वतन्त्र थे पर कॉलेज के विद्यार्थियों ने इस टेस्ट को नहीं दिया मुझे इसके २ कारण नजर आते हैं और वह है हीन-भावना या घमंड,
हो सकता है कि हीन-भावना से ग्रसित रहे हों वह विद्यार्थी, यह सोच रहे हो कि पता नहीं कैसा टेस्ट होगा? कैसे कर पायंगे? कितने नंबर ला पाएंगे? क्या पुछा जायेगा? कहीं ऐसा न हो कि वेइज्जती हो जाए वगैरह-वगैरह यदि ऐसा है तो इन विद्यार्थिओं के साथ-साथ मैनपुरी का भविष्य भी अंधकारमय है, क्यूंकि यह वो विद्यार्थी हैं जिनको अब लगातार कई परीक्षाएं देनी हैं, इनको इस तरह के पेपर के लिए तैयार रहना है पर वे दुविधा में है तैयार ही नहीं हैं, ऐसे में ये विद्यार्थी क्या करेंगे यह तो वक्त ही बताएगा पर मुझे काले बादल नजर आ रहे हैं
यदि घमंड में थे कि क्या फालतू टेस्ट देंगे, क्या होगा इस टेस्ट से? मुझे जरूरत नहीं है ऐसे टेस्ट की इत्यादि तो भी समस्या गंभीर है क्यूंकि विद्यार्थी को झुक कर चलना चाहिए किसी भी टेस्ट को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए, इस स्थिति में भी समस्या गंभीर है और समाधान खोजना बहुत जरूरी है
स्कूली विद्यार्थियों ने कमाल का प्रदर्शन किया और समय खत्म होने के बाद भी विद्यार्थी आते ही जा रहे थे, उनमे जोश था अपने दोस्तों से आगे निकलने की तमन्ना थी, किसी भी प्रकार के प्रश्न को हल करने का जूनून था और सपने थे, कुछ कर दिखाने के, यदि यह विद्यार्थी ही मैनपुरी का भविष्य हैं तो यह भविष्य एक स्वर्णिम भविष्य है,
मुझे ऐसा लगा कि स्कूल तथा कॉलेज के बीच ऐसा कुछ है जो छात्रों को खोखला कर रहा है, जहाँ स्कूली छात्र जोश में लबालब थे वहीँ कोलेज के छात्र किसी भार के तले दबे हुए, उनकी आँखों में जहाँ सपने होने चाहिए थे कुछ भी नहीं था, मैं कोशिश करूँगा कि इन छात्रों के अंदर आत्म-विश्वास पैदा कर सकूं जो कहीं खो गया है, क्यूंकि मैं नहीं चाहता कि मैनपुरी हमेशा अविकसित ही रहे उसका विकास इन विद्यार्थियों के कन्धों पर है और इन कन्धों को मजबूत बनाना मेरा और सभी मैनपुरी निवासियों का पहला कर्तव्य होना चाहिए, मेरी कोशिश हमेशा जारी रहेगी यदि आप कुछ कर सकते हैं तो जरूर करिये -
धन्यवाद
मैंने सोचा कि क्यूँ ना बच्चों का एक टेस्ट ले लिया जाए जिससे यह पता चल जाए कि यहाँ के विद्यार्थी किस लेवल के हैं ? बस यह विचार दिमाग में आते ही मैंने एक आई.क्यू. टेस्ट तैयार किया और जानबूझ कर उसको थोडा सा कठिन रखा, मेरा मानना है कि आज के दौर में आगे बढ़ने के लिए हर क्षेत्र की थोड़ी-२ जानकारी आवश्यक है सो इस टेस्ट को कुछ ऐसा ही बनाया गया था | इस टेस्ट के २ अलग-अलग सेट तैयार किये गए जिनके प्रश्न समान थे पर उत्तर अलग-अलग थे जिससे नक़ल कर के नंबर लाने वालों की संख्या में कटौती की जा सके |
कुल 85 छात्र-छात्राओं ने टेस्ट में भाग लिया, जिसमे सेंट सोल्जर पब्लिक स्कूल तथा ब्लूमिंग बड्स के विद्यार्थी सर्वाधिक मात्रा में शामिल हुए | बहुत कम लोगों के नंबर २५% से कम थे, शायद २-३ विद्यार्थी ही ऐसे थे, इतनी ही संख्या ७५% से अधिक अंक पाने वाले विद्यार्थियों की थी, बाकी सभी विद्यार्थीओ ने २५% से ७५% तक के अंक प्राप्त किये थे |
जिस प्रकार का मैंने टेस्ट बनाया था मैं २५% से कम अंक की ही उम्मीद कर रहा था, पर विद्यार्थिओं ने कमाल कर दिया और उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया, यहाँ ध्यान देने की बात यह रही कि सभी लोग इस टेस्ट में हिस्सा लेने के लिए स्वतन्त्र थे पर कॉलेज के विद्यार्थियों ने इस टेस्ट को नहीं दिया मुझे इसके २ कारण नजर आते हैं और वह है हीन-भावना या घमंड,
हो सकता है कि हीन-भावना से ग्रसित रहे हों वह विद्यार्थी, यह सोच रहे हो कि पता नहीं कैसा टेस्ट होगा? कैसे कर पायंगे? कितने नंबर ला पाएंगे? क्या पुछा जायेगा? कहीं ऐसा न हो कि वेइज्जती हो जाए वगैरह-वगैरह यदि ऐसा है तो इन विद्यार्थिओं के साथ-साथ मैनपुरी का भविष्य भी अंधकारमय है, क्यूंकि यह वो विद्यार्थी हैं जिनको अब लगातार कई परीक्षाएं देनी हैं, इनको इस तरह के पेपर के लिए तैयार रहना है पर वे दुविधा में है तैयार ही नहीं हैं, ऐसे में ये विद्यार्थी क्या करेंगे यह तो वक्त ही बताएगा पर मुझे काले बादल नजर आ रहे हैं
यदि घमंड में थे कि क्या फालतू टेस्ट देंगे, क्या होगा इस टेस्ट से? मुझे जरूरत नहीं है ऐसे टेस्ट की इत्यादि तो भी समस्या गंभीर है क्यूंकि विद्यार्थी को झुक कर चलना चाहिए किसी भी टेस्ट को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए, इस स्थिति में भी समस्या गंभीर है और समाधान खोजना बहुत जरूरी है
स्कूली विद्यार्थियों ने कमाल का प्रदर्शन किया और समय खत्म होने के बाद भी विद्यार्थी आते ही जा रहे थे, उनमे जोश था अपने दोस्तों से आगे निकलने की तमन्ना थी, किसी भी प्रकार के प्रश्न को हल करने का जूनून था और सपने थे, कुछ कर दिखाने के, यदि यह विद्यार्थी ही मैनपुरी का भविष्य हैं तो यह भविष्य एक स्वर्णिम भविष्य है,
मुझे ऐसा लगा कि स्कूल तथा कॉलेज के बीच ऐसा कुछ है जो छात्रों को खोखला कर रहा है, जहाँ स्कूली छात्र जोश में लबालब थे वहीँ कोलेज के छात्र किसी भार के तले दबे हुए, उनकी आँखों में जहाँ सपने होने चाहिए थे कुछ भी नहीं था, मैं कोशिश करूँगा कि इन छात्रों के अंदर आत्म-विश्वास पैदा कर सकूं जो कहीं खो गया है, क्यूंकि मैं नहीं चाहता कि मैनपुरी हमेशा अविकसित ही रहे उसका विकास इन विद्यार्थियों के कन्धों पर है और इन कन्धों को मजबूत बनाना मेरा और सभी मैनपुरी निवासियों का पहला कर्तव्य होना चाहिए, मेरी कोशिश हमेशा जारी रहेगी यदि आप कुछ कर सकते हैं तो जरूर करिये -
धन्यवाद
मैँ ईश्वर से प्रार्थना करता हुँ कि इस नेक काम मेँ वे आपकी मदद करेँ।
जवाब देंहटाएंYogendra ji,
जवाब देंहटाएंliked yr blog verymuch.Your approach is very positive and yr helpful nature has impressed me a lot.
Regards,
dr.bhoopendra
rewa
mp