03 सितंबर 2012

विज्ञान और विद्यार्थी : बहुत मजा आया इनके साथ काम करके

प्रिय पाठकों,

जैसा की आप जानते ही हैं की मैं हिन्दी में वीडियो ट्यूटोरियल बनाता हूँ जिससे अपने हिन्दी भाषी भाई-बहनों को कुछ सिखा सकूं|

एक आइडिया बहुत दिनों से दिमाग में कुलबुला रहा था और वह था विज्ञान से सम्बंधित कुछ वीडियो बनाने का, आइडिया आया था श्री दर्शन लाल बाबेजा जी के यूट्यूब-चैनल को देख कर, आप सभी से गुजारिश करूंगा कि इनके यूट्यूब चैनल को ना सिर्फ देखें बल्कि सबस्क्राइब भी करें क्यूंकि हिन्दी में इस तरह के वीडियो चैनल की बहुत कमी है, इसलिए इस तरह के चैनल को बनाने वाले लोगों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है|

आइडिया आना बहुत बड़ी बात नहीं होती, बड़ी बात होती है उसको असल-रूप देना, जो सामान्यतया आसान नहीं होता| मैं विज्ञान के वीडियो खुद नहीं बनाना चाहता था बल्कि चाहता था कि कुछ विद्यार्थी इस तरह के वीडियो बनायें जिससे बाकी विद्यार्थियों को प्रोत्साहन मिले और जो विद्यार्थी वीडियो बनायें उनका आत्मविश्वास बढे|

अब अगली समस्या यह थी कि ऐसे विद्यार्थी कहाँ से लाऊँ जो ऐसे वीडियो बनाने के लिए तैयार हों? मेरे आस-पास में ऐसे दो विद्यार्थी मुझे मिल ही गए, पहले हाई-स्कूल के विद्यार्थी आलोक वर्मा जो कि मेरे घर में ही रहते हैं और दुसरे इंटरमीडिएट में पढने वाले अतुल पाल जो मेरी बुआ जी के बेटे हैं|

बस फिर क्या था आइडिया उन दोनों को बताया गया और यह भी साफ़ कर दिया गया कि मैं किसी भी प्रकार का डिस्टर्बेंस नहीं चाहता यानि कि मेरे पास यह पूछने मत आना कि कौन सा प्रोजेक्ट चुनें, इस प्रोजेक्ट में यह दिक्कत आ रही है वह दिक्कत आ रही है इत्यादि| आपको किताब, रिसोर्स जो भी चाहिए वह मैं उपलब्ध करा देता हूँ पर मुझे बार-बार प्रोजेक्ट के लिए परेशान करने मत आना|

असल में यह एक तरीका होता है, अच्छे से अच्छा काम करवाने का, जब आप विद्यार्थियों से काम करवाना चाहें तो उनको एक ऐसा माहौल दीजिये जिसमें वह खुल कर काम कर सकें, आप सिर्फ उनको रिसोर्स उपलब्ध करवा दीजिये|

अगले चार दिन में वह मेरे पास 7 प्रोजेक्ट ले कर आये जो वो बना सकते थे, जो कि मेरी उम्मीद से काफी अच्छे प्रोजेक्ट थे, फिर क्या था मैंने उनको बनाने की अनुमति दे दी और कुछ पैसे भी :)

पहला प्रोजेक्ट जो उन्होंने चुना वह था, घर पर इलेक्ट्रो-मैग्नेट बनाने का, इस प्रोजेक्ट के लिए वीडियोग्राफर, एडिटर का काम मैंने किया बाकी सभी इन दोनों ने ही, जब यह वीडियो बना तो हम काफी खुश थे क्यूंकि यह मेरी उम्मीद से अच्छा बना था, क्या आप देखना चाहेंगे इस वीडियो को? देर किस बात की देख ही लीजिये

आपने देख ही लिया है, कैसा बना है यह वीडियो, इस वीडियो में हुई कुछ गलतियों को सुधार कर दूसरा वीडियो बनाया गया जिसमे भी वीडियोग्राफर और एडिटर का रोल मैंने निभाया, पेश है आपके सामने दूसरा वीडियो जिसमे आपको सिखाया जाएगा कि कैसे बना सकते हैं ऑटोमैटिक स्ट्रीट लाईट- देख कर बताइयेगा जरूर कि कैसा लगा
इस दुसरे वीडियो की रिकोर्डिंग तक आलोक और अतुल दोनों ही वीडियो एडिटिंग सीख चुके थे, इसलिए इस वीडियो में वीडियो एडिटिंग का काम भी इन दोनों ने ही किया है, इस वीडियो में इन्होने सिखाया है कि कैसे आप इलैक्ट्रोनिक रैन अलार्म बना सकते हैं, तो देर किस बात की देखिये और साथ में दुसरे विद्यार्थियों को भी दिखाइये-
और यह रहा चौथा और इस क्रम में आख़िरी वीडियो जिसमे सिखाया गया है कि कैसे आलू से भी बिजली पैदा की जा सकती है, तो बिना देर किये देखिये यह चौथा और आख़िरी वीडियो-
यह चौथा वीडियो आख़िरी जरूर है पर सिर्फ इस सीरीज का, इस तरह के वीडियो आगे भी आते रहेंगे, यह अलग बात है कि कब आयेगें कहा नहीं जा सकता|

शिकायत: एक शिकायत भी है मुझे हमारे आस-पास के माहौल से, पहला वीडियो बनाने के बाद जब मैंने दोनों विद्यार्थियों के माता-पिता को दिखाया तो उनके चेहरे पर कोई प्रसन्नता नहीं थी, बल्कि इस शिकायत थी कि फालतू कामों में अपना समय क्यूँ बर्बाद कर रहे हो? यह सिर्फ इसलिए क्यूंकि इस तरह के प्रोजेक्ट उनके नंबरों में किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी नहीं देते| पता नहीं कब हमारा समाज यह नंबर रेस ख़त्म होगी जिसमे हमारे देश का भविष्य (विद्यार्थी) पिस रहा हैं, कभी कभी तो मुझे लगता है कि विद्यार्थियों को सिखाने से पहले उनके माता-पिता के लिए एक स्कूल की आवश्यकता है जहाँ उनको सिखाया जाए कि बच्चों को कैसे प्रोत्साहित करना है|

ब्लोगरों से: आपके आस-पास भी इस तरह के विद्यार्थी होंगे, आप उनको प्रोत्साहित कीजिये जिससे वो भी कुछ इस तरह के कार्य कर सकें, उनको दुनिया के सामने लाइए इससे ना सिर्फ उनको प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि आप को भी कुछ सार्थक करने की खुशी मिलेगी - धन्यवाद|

बहाने का जबाब: बहुत से अध्यापकों से मैंने बात की कि अपने स्कूल में इस तरह की एक्टिविटी को बढ़ावा दो तो ना सिर्फ आपके विद्यार्थियों का मनोबल बढेगा बल्कि आपके स्कूल का नाम भी होगा, अधिकतर का जबाब उर्फ़ बहाना ये कि रुपये कहाँ से आयेंगे, इस बहाने का उत्तर यह है कि इन चार वीडियो को बनाने में कुल खर्चा 500/- रु. आया और अभी तक मुझे कुल दो वीडियो से ही मात्र दो माह में यूट्यूब के जरिये मुझे 200/- रु. मिल चुके हैं यानी साल भर में लगाए गए रुपये से दुगुना रूपया मेरे पास आ जायेगा, और यह वीडियो यूट्यूब पर पड़े-पड़े कमाते ही रहेंगे, और क्या चाहिए?

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