जैसा कि इस पोस्ट के शीर्षक से स्पष्ट है, इस पोस्ट में मैं बात करूँगा कि कैसे एक शिक्षक वेब २.० का प्रयोग विद्यार्थियों को पढाने के लिए कर सकते हैं।
सबसे पहले यह पता होना चाहिए कि वेब २.० क्या है?
वेब प्रौद्यौगिकी को आये हुए तो काफी समय हो चुका है पर अपनी शुरूआती अवस्था में जो वेबसाइट्स बनीं वो स्टेटिक थीं, स्टेटिक का हिन्दी में अर्थ होता है स्थिर, इस तरह की वेबसाइट में वेबसाइट बनाने वाला जो अपने पेज पर लिख देता था उसको पढ़ने वाला पूरी दुनिया में इंटरनेट की सहायता से कहीं भी पढ़ सकता था, यह ठीक वैसा ही था जैसे हम किसी पुस्तक को पढ़ते हैं।
जब हम पुस्तक को पढ़ते हैं तो हम उस पुस्तक में लिखी किसी बात से सहमत हो सकते हैं, किसी बात से असहमत, हमें कुछ सवाल भी सूझ सकते हैं और लेखक से उनके उत्तर को जानने की इच्छा हो सकती है, पर हम कैसे पूछें? किताब हमें इस तरह की कोई सुविधा नहीं देती। ठीक ऐसा ही स्टेटिक वेबसाइट्स में भी होता है आप पढ़ सकते हैं पर लेखक से संपर्क नहीं कर सकते यानि ना ही अपने सवाल पूछ सकते हैं और ना ही अपनी सहमति अथवा असहमति दर्ज करा सकते हैं।
वेब २.० शब्द का प्रयोग 1999 में प्रथम बार उन वेबसाइट्स के लिए किया गया था जो ऐसी प्रौद्योगिकी का प्रयोग करती हैं जो वेबसाइट में स्टेटिक पेज से कुछ ज्यादा प्रयोग करने की सुविधा प्रदान करती हैं। एक वेब २.० प्रौद्यौगिकी पर आधारित वेबसाइट अपने प्रयोगकर्ताओं को आपस में बातचीत तथा सहयोग करने का मौक़ा प्रदान करती है, ऐसी वेबसाइट में प्रयोगकर्ता खुद एक लेखक हो सकता है। सोशल नेट्वर्किंग साइट्स, ब्लॉग, विकीपीडिया, वीडियो शेयरिंग वेबसाइट, होस्टेड सर्विस, वेब एप्लीकेशन इत्यादि वेब २.० प्रौद्यौगिकी पर आधारित वेबसाइट के उदाहरण हैं।
शिक्षकों के लिए वेब २.०-
वेब २.० शिक्षकों को पढाने के नये रास्ते दिखाती है। सामान्यतया एक शिक्षक एक बार में बहुत कम लोगों को पढ़ा सकता है पर वेब २.० का प्रयोग करते हुए शिक्षक पूरी दुनिया में कहीं भी स्थित अनगनित विद्यार्थियों को पढ़ा सकता है और अपनी पहचान पूरी दुनिया में बना सकता है।
वेब २.० प्रौद्यौगिकी का प्रयोग करके बनाईं हुईं वेबसाइट में निम्न सुविधाएं हो सकती हैं,
खोजने की क्षमता: एक वेबसाइट में काफी डाटा हो सकता है, पर यदि खोजने की क्षमता ना हो तो आपकी वेबसाइट के पाठकों को उनकी जरूरत की सामग्री खोजने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए खोज करने की क्षमता किसी शिक्षक की वेबसाइट का एक महत्वपूर्ण अंग है।
लिंक्स: लिंक्स तो वेबसाइट की जान होती हैं, लिंक्स का प्रयोग कई प्रकार से एक वेबसाइट पर किया जा सकता है| मुख्य रूप से लिंक दो प्रकार के होते हैं एक तो वो जो प्रयोगकर्ता को वेबसाइट से बाहर ले जाते हैं, यानि कि वो लिंक जो पाठक को और अधिक जानकारी देने वाली वेबसाइट पर ले जाते हैं, और दूसरे वो जो पाठक को इसी वेबसाइट पर रखते हैं, इनका प्रयोग एक पेज से दूसरे पेज पर ले जाने के लिए अथवा उसी पेज पर किसी एक टॉपिक से दूसरे टॉपिक पर ले जाने के लिए किया जाता है|
टैग: टैग का प्रयोग वर्गीकरण के लिए किया जाता है, यह वर्गीकरण किसी भी आधार पर हो सकता है जैसे कि विषय, अध्याय, आयु वर्ग, कक्षा, शिक्षक इत्यादि।
एक्सटेंशन: एक्सटेंशन का अर्थ होता है किसी चीज को बढ़ा देना, वेबसाइट को एक एप्लीकेशन (सॉफ्टवेयर) का रूप देना एक्सटेंशन कहलाता है| जैसे कि एडोब रीडर, एडोब फ्लैश प्लेयर, माइक्रोसोफ्ट सिल्वरलाइट एक्टिव-एक्स, जावा, क्विक-टाइम, विंडोज मीडिया इत्यादि।
सिग्नल: सिग्नल का अर्थ है सिंडिकेशन का प्रयोग करना, इसमें आर.एस.एस. तथा इसी प्रकार की फीड का प्रयोग करते हुए एक वेबसाइट दूसरी वेबसाइट अथवा एप्लीकेशन को बताती है कि वेबसाइट में नया कंटेंट जोड़ा गया है।
सोशल वेब क्या है?
यह तो हुईं वह सुविधाएँ जो कि आपको वेब २.० का प्रयोग करने वाली वेबसाइट पर मिल जायेंगी, अब बात करते हैं सोशल वेब की जो वेब २.० का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। सोशल वेब का प्रयोग करते हुए प्रयोगकर्ता अपना नजरिया, राय, विचार तथा अनुभव ऑनलाइन टूल तथा ऑनलाइन प्लेटफोर्म का प्रयोग करते हुए करता है। एक अध्यापक वेब २.० का प्रयोग विद्यार्थियों को पढाने के लिए कर सकता है।
ब्लोगिंग: ब्लोगिंग का अर्थ होता है ऑनलाइन डायरी, ब्लॉग का प्रयोग करते हुए आप अपने लेख अपने विद्यार्थियों तक पहुंचा सकते हैं।
विकी: विकी का अर्थ एक ऐसी वेबसाइट से होता हैं जहां पर हर किसी को कंटेंट लिखने की आजादी होती है, विकी पर ना सिर्फ अध्यापक बल्कि विद्यार्थी भी बदलाब कर सकता है, विकी को आप चाहें तो अपने स्कूल, क्लास अथवा कोचिंग के लिए बना सकते हैं।
पॉडकास्ट: कम्प्यूटर के युग में पढ़ना-पढ़ाना सिर्फ लेखों तक ही सीमित नहीं है, आप पढाने के लिए ऑडियो, वीडियो, पी.डी.एफ. या इसी प्रकार के डिजिटल मीडिया का प्रयोग कर सकते हैं। इन पॉडकास्ट को आप अपनी वेबसाइट पर रख सकते हैं अथवा किसी वीडियो शेयरिंग साइट, ऑडियो शेयरिंग साइट, स्लाइड तथा डोक्यूमेंट शेयरिंग साईट पर अपलोड करने के बाद उनको अपनी वेबसाइट पर अटैच कर सकते हैं।
सोशल नेट्वर्किंग साइट: आजकल के विद्यार्थी फेसबुक जैसी सोशल नेट्वर्किंग साइट का बहुत प्रयोग करते हैं, इसलिए इस तरह की वेबसाइट पर विद्यार्थियों को पढाने पर उनको ज्यादा पढ़ने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
सोशल बुकमार्किंग: बुकमार्क का अर्थ होता है चिन्हित कर देना, सामान्यतया हम उन चीजों को चिन्हित करते हैं जो हमको पसंद आतीं हैं ठीक इसी प्रकार सोशल बुकमार्किंग आपके पाठकों को उनकी पसंद के वेब-पेज को तमाम सोशल नेट्वर्किंग साइट पर शेयर करने की सुविधा करती है।
नव वर्ष मंगलमय हो,. सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंउपयोगी लेख ...योगेन्द्र जी .
जवाब देंहटाएंनववर्ष की बधाई !
आभारे!
धन्यवाद
हटाएंबड़ी सुन्दर और पठनीय प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली ,
जवाब देंहटाएंजारी रहें।
शुभकामना !!!
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