04 अप्रैल 2011

सामूहिक ब्लॉग के लिए एक आइडिया


यदि आप सामूहिक ब्लॉग प्रारंभ करना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए है, सबसे पहली चीज ये कि किसी समूह की आवश्यकता कब पडती है? जब कोई बड़ा कार्य करना हो तो |
छोटे कार्य तो हम निजी तौर पर कर सकते हैं जब कोई बड़ा कार्य करने की आवश्यकता हो तभी लोगों को एकत्रित करना पड़ता है लोगों को इकठ्ठा करना पड़ता है, योजना बनानी पड़ती है तथा उस योजना को असली जामा पहनाने के लिए कार्य करना पड़ता है|

आप मैं से कई लोगों को मैंने यह कहते हुए सुना है कि हमारा समाज तरक्की नहीं कर पा रहा है, महिलाओं की स्थिती अभी भी बदतर है, शिक्षा में कोई सुधार नहीं है, और भी कई समस्याएं हैं जिन पर समय-समय पर ब्लोगरों की पोस्ट आती रहती हैं, पर अफ़सोस आप कुछ करते नहीं सिर्फ कहते हैं, क्या कहने से किसी समस्या का समाधान होता है? क्या आपने कुछ कार्य प्रारंभ किये हैं?

पिछले कुछ समय में बहुत सामूहिक ब्लॉग बनाये गए, मैं सभी सामूहिक ब्लॉग के संस्थापकों को पूछता हूँ कि क्यूँ उन्होंने यह भीड़ इकठ्ठी की है? क्या किसी सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए वह प्रयासरत हैं? नहीं ना, आपने सभी ब्लॉग नाम कमाने के लिए ही बनाये हैं ना ?

नाम कमाने के लिए कुछ कार्य करना बुरा नहीं होता, सिर्फ नाम कमाने के लिए जब शॉर्टकट लिया जाता है तब वह समाज के लिए अथवा खुद अपने लिए हानिकारक हो जाता है|

कुछ सामजिक समस्याओं पर मैंने गौर किया और सोचा कि किस प्रकार सामूहिक ब्लॉग इन समस्याओं का निदान कर सकते हैं-

महिलाओं की स्थिति: आज समाज में महिलाओं की स्थिति से सभी वाकिफ हैं, यह तो आप सभी जानते हैं कि हमारे देश की महिलाएं कई कलाओं में माहिर होतीं हैं- उदहारण के तौर पर अचार डालना, सिलाई कला, पाक कला, घरेलू साज-सज्जा का सामान ( झूमर, बैठक इत्यादि ) बनाना | मेरी मम्मी 42 तरह के अचार डाल लेतीं हैं, मेरी दादी तो सिर्फ आम के अचार ही कई तरह से डाल लेतीं हैं |

इतनी कला में माहिर होने के वावजूद महिलाये अपनी एक पहचान बनाने के लिए जूझती रहतीं हैं, और एक बात भी है कि आज कल की लड़कियां (बुरा ना माने परिस्थितियां ही ऐसी होतीं हैं ) यह सभी बनाना सीखतीं नहीं हैं तो बहुत सम्भावना है कि यह कलाएं आने वाले ४०-५० सालों में पूरी तरह से लुप्त हो जाएँ और हम हाथ से डाले गए अचार को खाने से महरूम रह जाएँ|

इन कार्यों में सामूहिक ब्लॉग कैसे हमारी मदद कर सकते हैं?


यहाँ पर हमारा उद्देश्य महिलाओं को उनकी पहचान देना तथा इन कलाओं को जीवित रखना है, तो मुख्य उद्देश्य से भटकें नहीं, पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाते हुए ऐसी महिलाएं कम्प्यूटर तथा ब्लोगिंग नहीं सीख सकतीं, अतः उनको सिर्फ किसी भी चीज को बनाने की विधि कागज़ पर लिखने के लिए कहें और आप उनको सामूहिक ब्लॉग पर डालें |

मजे की बात कि इसके लिए ना तो कोई ब्लॉग एग्रीगेटर आपके ब्लॉग को हटाने की बात कहेगा, ना गूगल में आपके ब्लॉग की रैंकिंग पर कोई फर्क पड़ेगा, और सभी आपका दिल खोल कर स्वागत करेंगे वो अलग |

सामूहिक ब्लॉग संचालकों के लिए ध्यान देने लायक बातों में मैंने बताया था कि आप कैसे अपने सामूहिक ब्लॉग की रूपरेखा तैयार करें और किन किन बातों का ध्यान रखें, लेख आप यहाँ पढ़ सकते हैं|
इन नियमों के अलावा कुछ और रूपरेखा आपको इस खास आइडिया के लिए तैयार करनी होंगी |
  • आप (सामूहिक ब्लॉग संस्थापक) अपने मोहल्ले की कुछ महिलाओं से बात करें तथा उनको समझाएं कि ब्लोगिंग का क्या महत्त्व है और इससे किस प्रकार उनका नाम होगा तथा समाज का फायदा होगा| 
  • यदि एक-दो महिलाएं भी मिल जायेंगी तो आपका कार्य हो जायेगा, सिर्फ इतना ध्यान रखना है कि उनको प्रोत्साहन मिलता रहे, कमेन्ट के रूप में, यदि आपका उद्देश्य अच्छा है तो यह कार्य तो हम सभी ब्लोगर मिल कर कर ही देंगे|
  • जब भी कोई कमेन्ट आये तो आप लेखिका को जरूर दिखाएँ, जिससे उनको प्रोत्साहन मिले, और वह अन्य महिलाओं को भी इस मुहिम में शामिल होने के लिए प्रेरित करे|
याद रखें हर बड़े काम की शुरूआत छोटे स्तर से ही शुरू होती है

12 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा लगा आपके विचार जानकर ..

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  2. योगेन्द्र भाई,
    आप बड़ा काम कर रहे हैं। बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  3. आपने तो बहुत अच्छी बात बताई...आभार.

    ____________________
    'पाखी की दुनिया' में भी आपका स्वागत है.

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  4. अच्‍छे विचार
    सच्‍ची सोच

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  5. GREAT!

    यक़ीनन ! बहुत सुन्दर विचार. योगेन्द्र जी.

    मेरे पास 3 सामूहिक ब्लॉग हैं:::

    लखनऊ ब्लॉगर्स एसोशियेशन
    (उत्तर प्रदेश के ब्लॉगर्स का संगठित मंच, जिसके चलते सैकणों नए ब्लॉगर्स बने और अब तक सफल ब्लॉगर्स भी बने हैं)

    ऑल इंडिया ब्लॉगर्स एसोशियेशन
    (सम्पूर्ण भारत के ब्लॉगर्स का एक सशक्त मंच, राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं को संगठित कर सफ़ल प्रयोग)

    हमारीअन्जुमन.कॉम
    (इस्लाम धर्म की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाने का मानवीय कार्य)

    आपके सुझाव मुझे पसंद आये और शीघ्र ही इस पर अमल में लाकर ब्लोगिंग को सफ़ल बनाने की कोशिश करूँगा.

    सलीम ख़ान
    9838659380

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  6. सार्थक संदेश सामुहिक ब्लॉग के लिये।

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  7. yogendra
    in this last blog meet when i asked people why dont they ask their wifes to make a blog because that way we can bring an internet revolution in this country i was told that the work of a wife is to make khanaa and roti

    preaching woman what to do is very simple but its not workable

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  8. @रचना जी- मैं बाकी लोगों का नहीं जानता, पर मैंने मेरी बहनों को हमेशा कहा है ब्लॉग लिखने के लिए, और पूरा सपोर्ट करने के लिए भी तैयार हूँ, मेरी शादी के बाद पत्नी को भी ब्लॉग लिखने के लिए प्रात्साहित करूँगा,

    और वैसे भी मैं उपदेश देने में यकीन नहीं रखता, करने में यकीन करता हूँ, मैंने यह लेख उन लोगों को टारगेट करते हुए लिखा है जो उद्देश्यविहीन सामूहिक ब्लॉग बना रहे हैं तथा अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रहे हैं

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  9. आप जैसे विचार ही आज नई पीडी की अस्ल जरूरत हैं |
    पेहला कदम उठाने से ही मंजिल नजदीक आती है |
    शुभकामनाएँ!
    खुश और स्वस्थ रहें |
    अशोक सलूजा

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  10. .

    Dear Yogendr ,

    I admire your suggestion .

    Best wishes.

    .

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