- खेल वर्ग पर आने वाले लेख 500 से भी ज्यादा बार पढ़े जा रहे है |
- तकनीकी, घरबार तथा सेहत के लेखों पर औसतन 80-90 क्लिक होते हैं, जो धुरंधर लिक्खड़ हैं उनके लेखों पर 100 से ज्यादा क्लिक होना मामूली बात है, कमेन्ट के बारे मे तो ना ही कहा जाये तो बेहतर है कमेन्ट मे तो इस हाथ ले उस दे दे बाली बात है |
- इलाकाई, मस्ती के हालात तो थोड़े बहुत ठीक हैं |
- पर बाकी वर्गों मे जैसे कि कला, समाज, समाचार, धंधा, विज्ञान, सन्दर्भ, खरीदारी के हालात बदतर है | इन लेखों को पढ़ा नहीं जा रहा है, ना कोई कमेन्ट ना क्लिक ना किसी तरह का प्रोत्साहन |
इस तरह तो हम हिन्दी ब्लोगिंग मे पीछे ही रह जायेंगे, यदि आपके पास इस समस्या का कोई हल हो तो सुझाएँ, जिससे कुछ किया जा सके
योगेन्द्र भाई, अगर पाठकों को बुलाना है, मतलब कि लोग आपकी पढ़े, तो पाठकों की रूचियों का तो ध्यान रखना ही होगा। एक रास्ता यह हो सकता है कि पाठक की रूचियों में अपनी रूचियों को मिलाने का प्रयत्न किया जाए।
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ग्राम, पौंड, औंस का झमेला। <
विश्व की दो तिहाई जनता मांसाहार को अभिशप्त है।