30 सितंबर 2009

ओपन सॉर्स सॉफ्टवेयर

आज मैं आप लोगों को ओपन सॉर्स सॉफ्टवेयर के बारे में बताने जा रहा हूँ | आप लोगों ने ओपन सॉर्स सॉफ्ट्वेर के बारे में सुना होगा, ओपन सॉर्स सॉफ्ट्वेर वो सॉफ्ट्वेर हैं जिनका सॉर्स कोड भी आपको मिलता है |
सॉर्स कोड :- (Source code) वह कोड जिससे सॉफ्टवेयर बना है | साधारणतया आपको सिर्फ सॉफ्टवेयर का executable कोड ही मिलता है | executable कोड की मदद से आप सॉफ्टवेयर का प्रयोग टू कर सकते है पर उसको अपने अनुसार बदल नही सकते , पर सॉर्स कोड से आप executable कोड बना सकते है |
हम में से अधिक्टर लॉग MICROSOFT ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग करते हैं | क्या आपको पता है की MICROSOFT ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर का मूल्य कितना है?
Microsoft XP की पर्सनल कॉपी का मूल्य 8000/- रू. है |
Microsoft Vista Home Basic की पर्सनल कॉपी का मूल्य 13000/- रू. है |
यदि आप बिना लाइसेन्स के ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग कर रहे है तो आप कानून की अवमानना कर रहे हैं |
अगर आपको पता चले की एक ऑपरेटिंग सिस्टम ऐसा भी है जिसके लिए आपको रू. नही देने होंगे ओर आप उसका प्रयोग बिना किसी कानून के अबमानना किए कर सकते है तो क्या आप उसका प्रयोग करना पसंद नही करेंगे?
ऐसा एक ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसका नाम है LINUX (लिनक्स). लिनक्स एक ओपन सॉर्स सॉफ्टवेयर है | लिनक्स आपको वह सभी सुविधाएं देता है जो की XP या Vista देते हैं | लिनक्स को इन्स्टॉल करने का तरीका भी काफ़ी आसान है और आप किसी भी सिस्टम पर लिनक्स को इन्स्टॉल कर सकते हैं |

18 सितंबर 2009

सीखने का एक नया माध्यम : "विडियो"

अभी तक हम-आप सभी किताबों से सीखते आये हैं| सही भी है, किताबों से अच्छा कोई सिखा भी नहीं सकता और किताबों जैसा कोई मित्र हो भी नहीं सकता| आज तक हमने-आपने जो कुछ भी सीखा किताबों से ही सीखा पर जब बात कंप्यूटर सीखने की हो तो सिर्फ किताबें काम नहीं आतीं क्यूंकि कंप्यूटर में आप कुछ सीखना चाहते हैं तो Practically ही सीख सकते हैं| उसके लिए कोचिंग का सहारा लिया जाता है जहाँ पर Teacher हमें कंप्यूटर पर काम कर के दिखता है और हम सीखते हैं| यानि की एक बात पूरी तरह साफ़ है की कंप्यूटर को हम लोग सिर्फ पढ़ कर नहीं सीख सकते बल्कि उसको देख कर सीख सकते हैं|
हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं की कंप्यूटर को सीखने के लिए कोचिंग से अच्छा कोई तरीका नहीं है| पर क्या वास्तव में ऐसा है? कोचिंग आपको किताबों की तरह से स्वतंत्रता नहीं दे सकती| आप किताब को दिन-रात सुबह-शाम जब मन करे पढ़ सकते हैं पर क्या आप कोचिंग में कभी भी जा सकते हैं? नहीं| आप कोचिंग में एक निश्चित समय पर ही जा सकते हैं, उसके अलावा कोचिंग सेण्टर में आप प्रवेश नहीं पा सकते|
एक और बात है जो की कोचिंग को किताबों से अलग करती है वो है "फीस"| आप किताब को खरीदने के लिए या फिर कहा जा सकता है की किताब से सीखने के लिए सिर्फ एक बार फीस देते हैं| अगर किताब से आपको एक बार में कोई चीज़ समझ में नहीं आ रही है तो आप उसको बार बार पढ़ सकते हैं पर कोचिंग ख़त्म होने के बाद आप उसी चीज़ को दुबारा सीखने की दुबारा फीस देंगे|
इसके अतिरिक्त यदि आप बीमार हैं, आपको किसी शादी में जाना है या आपके घर में कोई काम है तो आप अपने उस काम को कर सकते हैं बिना इस बात की चिंता किये की आपका आज का पाठ छूट जायेगा क्यूंकि आप उसको समय मिलने पर किताब से पढ़ सकते हैं| पर कोचिंग में ऐसा नहीं हो सकता आपका जो पाठ आपके किसी जरूरी काम की वजह से छूट गया उसको आप दुबारा नहीं कर सकते|
हर स्टुडेंट का पढने और समझने की गति अलग अलग होती है| किताब से हर स्टुडेंट अपने हिसाब से पढता है, अपनी गति से पढता है पर कोचिंग में आप उस गति से पढ़ते हैं जिस गति से Teacher पढाना चाहता है| जिससे कुछ स्टूडेंट्स को तो समझ में ही नहीं आता की क्या पढाया जा रहा है और कुछ को लगता है की बहुत ही धीरे पढाया जा रहा है और दोनों ही तरह के स्टूडेंट्स की रूचि ख़त्म हो जाती है|
कोचिंग में आने-जाने का टाइम भी लगता है जवकि किताब से पढ़ते समय आप आने जाने में व्यय होने वाले समय को और ज्यादा सीखने में लगा सकते हैं|
किताब से सीखने के लिए आप एक बार फीस देते हैं और आपके घर का हर सदस्य सीख सकता है| कोचिंग में आपको हर सदस्य के लिए अलग अलग फीस चुकानी होगी|
एक मुख्य बात और है जो की सिर्फ इंग्लिश भाषा की जानकारी ना रखने वालों के लिए है| ज्यादातर किताबें (कंप्यूटर सम्बंधित) इंग्लिश में ही प्रकाशित होती हैं हिंदी में प्रकाशित होने वाली किताबें पहले तो बहुत ही कम प्रकाशित होती हैं और अगर प्रकाशित होती भी है तो उसकी गुणवत्ता इंग्लिश की किताबों की तरह नहीं होती| इसलिए कोचिंग का सहारा लेना कुछ स्टूडेंट्स की मजबूरी भी होती है| इसके अतिरिक्त किताबों से सीखना कोचिंग से सीखने के मुकाबले बहुत धीरे होता है|
इस तरह अगर देखा जाये तो सीखने के दोनों ही माध्यमों की अपनी-अपनी खूबियाँ और कमजोरियां हैं|
सीखने का एक माध्यम ऐसा भी है जो किताबों और कोचिंग दोनों की ही खूबियाँ आपको देता है और वो माध्यम है "विडियो". विडियो सीखने का एक ऐसा माध्यम है जो आपको किताबों की सभी खूबियाँ मिलेंगी जैसे की-

  1. आप अपनी गति से पढ़ सकते हैं|
  2. पाठ छूटने का कोई डर नहीं क्यूंकि विडियो आपके पास है जिसे आप जब चाहे तब देख सकते हैं|
  3. विडियो को आप एक बार खरीदेंगे और बार बार देख सकते हैं, अपने घर के सदस्यों को भी दिखा सकते हैं|
साथ ही कोचिंग की सभी खूबियाँ भी जैसे की-

  1. विडियो में आप किसी भी काम को Teacher की आवाज के साथ कंप्यूटर पर होता हुआ देख तथा सुन सकते हैं, जैसा की आप कोचिंग में देखते और सुनते हैं|
  2. किताबों के मुकाबले तेज गति से सीख सकते हैं|
  3. विडियो आपकी अपनी भाषा में भी हो सकते हैं|
तो इस तरह विडियो आपको किताब और कोचिंग दोनों की खूबियाँ एक साथ देते हैं| और कुछ कमियों को दूर भी करते हैं जैसे की-

  1. कोचिंग आने-जाने में लगने वाला समय बचता है|
  2. मनुष्य का दिमाग देखी और सुनी हुई चीज़ों को पढ़ी हुई चीज़ों से ज्यादा याद रखता है| इस बात का फ़ायदा भी आपको विडियो से मिलेगा|
  3. पढ़ते समय ध्यान ज्यादा लगाना पड़ता है पर देखते हुए उतना ध्यान देने की जरूरत नहीं होती|
विडियो पाठ का एक उदाहरण आप नीचे देख सकते हैं|





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यदि आप और भी कुछ जानना चाहते हैं तो मुझे मेल कर सकते हैं yogendra.pal3@gmail.com पर|

यदि आपको यह लेख तथा विडियोपसंद आया हो तो कृपया अपना जबाब छोडें, आपका जबाब हमें और लिखने के लिए प्रेरित करेगा, धन्यवाद|

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